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Thursday, April 17, 2025

पेट्रोकेमिकल्स क्षेत्र की चुनौतियों को लेकर नई दिल्ली में ‘मंथन शिविर’ का आयोजन

नई दिल्ली। रसायन एवं पेट्रोरसायन विभाग नई दिल्ली में एक दिवसीय ‘मंथन शिविर’ का आयोजन कर रहा है। इस शिविर का उद्देश्य भारतीय रसायन और पेट्रोरसायन उद्योग के दीर्घकालिक विकास को बढ़ावा देना है। इस दौरान छह प्रमुख विषयों पर गहन चर्चा होगी, जिनमें बुनियादी ढांचे का विकास, स्थिरता और परिपत्र अर्थव्यवस्था, व्यापार सुधार, विनिर्माण को बढ़ावा, कुशल कार्यबल का प्रशिक्षण और भविष्य के लिए प्लास्टिक उद्योग का रोडमैप शामिल हैं।

इस शिविर में विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे, जिनमें राजस्व, डीपीआईआईटी, फार्मास्यूटिकल्स, कौशल विकास, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, एमएसएमई, कपड़ा, नीति आयोग, आवास और शहरी मामले, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन और उपभोक्ता मामले जैसे मंत्रालय शामिल हैं।
इसके अलावा, भारतीय मानक ब्यूरो, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (सीआईपीईटी), हिंदुस्तान ऑर्गेनिक केमिकल्स लिमिटेड (एचओसीएल), और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जैसे संगठनों के प्रतिनिधि भी मौजूद रहेंगे।
शिविर में छह अलग-अलग समूह बनाए जाएंगे, जो प्रत्येक विषय पर विस्तार से विचार-विमर्श करेंगे। ये समूह उद्योग की चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा करेंगे, जैसे कि बुनियादी ढांचे को मजबूत करना, पुनर्चक्रण और पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को बढ़ावा देना, व्यापार नियमों में सुधार और आत्मनिर्भर भारत के लिए विनिर्माण को प्रोत्साहन देना।
इसके अलावा, कुशल कार्यबल तैयार करने और प्लास्टिक उद्योग को भविष्य के लिए तैयार करने की रणनीतियों पर भी ध्यान दिया जाएगा।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, यह शिविर भारतीय रसायन और पेट्रोरसायन उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि यह क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाता है। सरकार का लक्ष्य इस उद्योग को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना और पर्यावरण के अनुकूल नीतियों को बढ़ावा देना है। मंथन शिविर के माध्यम से नए विचारों और नीतियों का रोडमैप तैयार किया जाएगा, जो उद्योग के विकास और स्थिरता को गति देगा। यह आयोजन न केवल उद्योग के हितधारकों को एक मंच प्रदान करेगा, बल्कि विभिन्न विभागों के बीच सहयोग को भी मजबूत करेगा। उम्मीद है कि इस शिविर से निकलने वाले सुझाव और रणनीतियां भारतीय रसायन उद्योग को नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगी।

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