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अनुरोध श्रीवास्तव |
वीरों का वीर था
तभी तो महवीर था
बचपन का बर्धमान
धीर था गम्भीर था ।
इक्ष्वाकु कुल उद्भव
लिच्छवी कुमार था
राजवैभव छोड़छाड़
लोकहित द्रवित हुआ ।
वर्ष तीस में घर छोडा
बारह वर्ष तपस्या की
किया प्राप्त कैवल्यज्ञान
जग के हित साधना की ।
हिंसा अधर्म है
पुनः प्रतिपादित किया
अहिंसा है सच्चा धर्म
सिद्धांत स्थापित किया ।
सत्य,आस्तेय,अपरिग्रह,व्रह्मचर्य
धर्म के स्तम्भ हैं
महावीर सिंह हैं
सन्त हैं,महान हैं ।
वैशाली में जन्म हुआ
पावापुरी मोक्ष प्राप्त
हे सन्त तुम्हें नमन है
वन्दन है,अभिनन्दन है ।
✍️अनुरोध श्रीवास्तव
©सर्वाधिकार सुरक्षित
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