नई दिल्ली। दिल्ली में हाल ही में निजी स्कूलों द्वारा की गई भारी-भरकम फीस बढ़ोतरी ने मध्यम वर्गीय अभिभावकों की कमर तोड़ दी है। आम आदमी पार्टी ने इस मामले में सत्तारूढ़ भाजपा और निजी स्कूलों के बीच गहरी सांठगांठ का आरोप लगाया है।
दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को पत्र लिखकर इस पूरे मामले की गंभीरता से जांच करने और तुरंत प्रभाव से बढ़ी हुई फीस पर रोक लगाने की मांग की है। पत्र में कहा गया है कि बीते कुछ महीनों में दिल्ली के कई निजी स्कूलों ने अचानक अपनी फीस कई गुना बढ़ा दी, जिससे अभिभावक बुरी तरह परेशान हैं।
उन्होंने दावा किया कि आम आदमी पार्टी की सरकार के 10 साल के कार्यकाल में फीस वृद्धि पर सख्त नियंत्रण रखा गया था और शिक्षा माफिया पर लगाम कसने का काम किया गया था, लेकिन फरवरी 2025 में नई सरकार के गठन के बाद से निजी स्कूलों को खुली छूट मिलती दिखाई दे रही है।
आतिशी ने कहा कि इस बेलगाम फीस वृद्धि के पीछे निजी स्कूलों की संस्था एक्शन कमेटी फॉर प्राइवेट स्कूल्स के चेयरमैन भरत अरोड़ा का नाम सामने आ रहा है। अरोड़ा न केवल वर्षों से फीस बढ़ाने के लिए कानूनी लड़ाइयां लड़ते रहे हैं, बल्कि दिल्ली भाजपा की कार्यकारिणी के सदस्य हैं और भाजपा शिक्षक प्रकोष्ठ का नेतृत्व भी कर रहे हैं। उनके सोशल मीडिया पोस्ट इस बात की पुष्टि करते हैं कि उन्होंने शालीमार बाग से चुनाव लड़ रहीं मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के प्रचार में सक्रिय भागीदारी निभाई थी।
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि गत 6 अप्रैल को दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशिष सूद और निजी स्कूलों के प्रतिनिधियों के बीच एक बैठक हुई थी, जिसमें कथित रूप से आश्वासन दिया गया कि विरोध थमने के बाद फीस बढ़ाने की अनुमति दे दी जाएगी। कहा गया कि सरकार एक अधिसूचना लाकर हर साल 10 प्रतिशत फीस बढ़ोतरी को बिना ऑडिट के मंजूरी दे देगी।
इस पूरे मामले में आम आदमी पार्टी ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के समक्ष चार प्रमुख मांगें रखी हैं। तुरंत प्रभाव से बढ़ी हुई फीस वसूली पर रोक लगाने के अलावा, जिन अभिभावकों ने पहले ही बढ़ी हुई फीस का भुगतान कर दिया है, उन्हें राशि लौटाने की भी मांग की गई है।
आतिशी ने लिखा है कि किसी भी फीस वृद्धि से पहले संबंधित स्कूलों का ऑडिट अनिवार्य किया जाए और शिक्षा मंत्रालय और शिक्षा निदेशालय में भरत अरोड़ा के प्रभाव की निष्पक्ष जांच कराई जाए। आम आदमी पार्टी ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार इस मामले में चुप्पी साधे रही, तो पार्टी सड़कों पर उतरकर अभिभावकों के साथ विरोध-प्रदर्शन करेगी। पार्टी का कहना है कि यह मुद्दा सिर्फ फीस का नहीं, बल्कि लाखों बच्चों के भविष्य और अभिभावकों की जेब पर पड़ने वाले बोझ का है।
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