लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने यमुना एक्सप्रेसवे क्षेत्र में रहने के इच्छुक लोगों के लिए बड़ी खुशखबरी दी है। सीएम योगी आदित्यनाथ के विजन के अनुरूप यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) ने सेक्टर-18 (पॉकेट 9बी) में रिहायशी भूखंडों की एक नई स्कीम शुरू की है। इस स्कीम के तहत 200 वर्ग मीटर के कुल 276 प्लॉट उपलब्ध कराए जाएंगे। आवेदन की प्रक्रिया सोमवार से शुरू हो गई है और 21 मई तक यीडा की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन किया जा सकेगा।
इस स्कीम में खास बात यह है कि किसानों और फंक्शनल इंडस्ट्रियल यूनिट्स के लिए आरक्षण भी रखा गया है। जिन किसानों की जमीनें यीडा और जेवर एयरपोर्ट के लिए अधिग्रहित की गई थीं, उन्हें 17.5% भूखंड (48 प्लॉट) आरक्षित किए गए हैं। वहीं 5% भूखंड (14 प्लॉट) उन इंडस्ट्रियल यूनिट्स के लिए आरक्षित हैं जो पहले से इस क्षेत्र में सक्रिय हैं। बाकी 214 प्लॉट आम नागरिकों के लिए रखे गए हैं।
- प्लॉट्स का रेट और रजिस्ट्रेशन फीस
यीडा द्वारा तय की गई कीमत 35 हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर रखी गई है। एससी-एसटी श्रेणी के लोगों को रजिस्ट्रेशन के लिए 3.50 लाख रुपये और सामान्य वर्ग के लिए 7 लाख रुपये पंजीकरण शुल्क देना होगा। सभी भूखंडों को 90 साल की लीज पर दिया जाएगा। इसका ड्रॉ 11 सितंबर 2025 को निकाला जाएगा, जिससे यह तय होगा कि किसे प्लॉट मिलेगा।
इस स्कीम में रजिस्ट्रेशन और भुगतान प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए आईसीआईसीआई बैंक और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) को बैंकिंग पार्टनर बनाया गया है। इच्छुक लोग यीडा की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं और पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यमुना एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा से लेकर आगरा तक फैला एक आधुनिक एक्सप्रेसवे है।
- जमीनों की मांग तेजी से बढ़ी
यह देश के सबसे व्यस्त और तेज रफ्तार मार्गों में गिना जाता है। एक्सप्रेसवे के आसपास यीडा ने पिछले कुछ वर्षों में कई औद्योगिक, शैक्षिक और आवासीय परियोजनाएं शुरू की हैं। विशेषकर जेवर एयरपोर्ट परियोजना के कारण इस क्षेत्र में जमीनों की मांग तेजी से बढ़ी है। सरकार इस क्षेत्र को ग्लोबल इन्वेस्टमेंट हब बनाने की दिशा में काम कर रही है।
ऐसे में रिहायशी प्लॉट की यह स्कीम उन लोगों के लिए अच्छा मौका है, जो भविष्य में इस क्षेत्र में घर बनाने का सपना देख रहे हैं। इस स्कीम से जहां आम नागरिकों को लाभ मिलेगा, वहीं वे किसान भी इसका हिस्सा बन सकेंगे जिनकी ज़मीनें विकास कार्यों के लिए ली गई थीं। इससे सामाजिक न्याय और संतुलित विकास दोनों को बल मिलेगा।
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