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Sunday, March 16, 2025

भागवत कथा में पहले दिन भक्ति प्रसंग सुन भावविह्वल हुए श्रोता


बस्ती। वैष्णों माता मंदिर परिसर ग्राम कोठिला में एक सप्ताह तक चलने वाले संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आरंभ हुआ। भागवत कथा के प्रथम दिन कथा वाचक श्रीबालकृष्ण आशीष जी महाराज ने भागवत प्रसंग की शुरूआत भागवत के प्रथम श्लोक से की सच्चिदानन्द रूपाय विश्वोत्पत्यादि हेतवे तापत्रय विनाशाय श्री कृष्णाय वयम नुमः वासुदेव सुतं देवम् कंस चानुर मर्दनम् देवकी परमानंदम् कृष्णम् वंदे जगदगुरुम्।

महाराज श्री ने कहा कि भागवत के प्रथम श्लोक में भगवान को प्रणाम किया गया है, उनके स्वभाव का वर्णन किया गया है, उनकी लीलाओं का वर्णन किया गया है। भागवत को समझना भगवान को समझने के बराबर है।

उन्होंने कहा कि जन्म-जन्मांतर एवं युग-युगांतर में जब पुण्य का उदय होता है, तब ऐसा अनुष्ठान होता है। श्रीमद्भागवत कथा एक अमर कथा है। इसे सुनने से पापी भी पाप मुक्त हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि वेदों का सार युगों-युगों से मानवजाति तक पहुंचाता रहा है। भागवतपुराण उसी सनातन ज्ञान की पयस्विनी है, जो वेदों से प्रवाहित होती चली आई है। इसलिए भागवत महापुराण को वेदों का सार कहा गया है।

उन्होंने श्रीमद्भागवत महापुराण का बखान किया। कहा कि सबसे पहले सुकदेव जी महाराज ने राजा परीक्षित को भागवत कथा सुनाई थी, उन्हें सात दिनों के अंदर तक्षक के दंश से मृत्यु का श्राप मिला था। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा अमृत पान करने से संपूर्ण पापों का नाश होता है। 

पूज्य महाराज श्री ने कथा में बताया की अगर हमारे बच्चों को शिक्षा ना दी जाए तो यह संसार कैसा होगा ? जो अनपढ़ लोग होते हैं जिन्हे अक्षर का ज्ञान नहीं होता है जब वो किसी बोध वाले व्यक्ति के पास जाते है तो उन्होंने शर्म महसूस होती है की यह सबकुछ जानता है, हम कुछ नहीं जानते, यह अच्छा बोलता है हम अच्छा बोल नहीं सकते क्योंकि वो साक्षर है और हम निराक्षर हैं। उस अक्षर का कितना महत्व है जो शुरू में हमे अ सिखाती है। अगर बच्चों को जबरदस्ती स्कूल भेजो तो वह मना कर देते हैं, शुरुआत में बच्चे स्कूल जाना पसंद नहीं करते। वैसे ही भागवत रूप यह कथा पंडाल ज्ञान का एक स्कूल है, आपका प्राइमरी स्कूल सिखाता है पैसा कैसे कमाएं लेकिन भागवत का यह कथा पंडाल आपको सिखाता है जीवन कैसे जीना चाहिए ? आप स्कूली और कथा पंडाल दोनों की शिक्षाओं से असहमत नहीं हो सकते।

श्रीबालकृष्ण आशीष जी महाराज ने कथा का वृतांत सुनाते हुए कहा की एक बात सनकादिक ऋषि और सूद जी महाराज विराजमान थे तो उन्होंने ये प्रश्न किया की कलियुग के लोगो का कल्याण कैसे होगा ? आप देखिये किसी भी पुराण में किसी और युग के लोगो की चिंता नहीं की पर कलयुग के लोगो के कल्याण की चिंता हर पुराण और वेद में की गई कारण क्या है क्योकि कलयुग का प्राणी अपने कल्याण के मार्ग को भूल कर केवल अपने मन की ही करता है जो उसके मन को भाये वह बस वही कार्य करता है। और फिर कलियुग के मानव की आयु कम है और शास्त्र ज्यादा है तो फिर एक कल्याण का मार्ग बताया भागवत कथा। 

श्रीमद भागवत कथा सुनने मात्र से ही जीव का कल्याण हो जाता है महाराज श्री ने कहा कि व्यास जी ने जब इस भगवत प्राप्ति का ग्रंथ लिखा, तब भागवत नाम दिया गया। बाद में इसे श्रीमद् भागवत नाम दिया गया। इस श्रीमद् शब्द के पीछे एक बड़ा मर्म छुपा हुआ है श्री यानी जब धन का अहंकार हो जाए तो भागवत सुन लो, अहंकार दूर हो जाएगा।

व्यक्ति इस संसार से केवल अपना कर्म लेकर जाता है। इसलिए अच्छे कर्म करो। भाग्य, भक्ति, वैराग्य और मुक्ति पाने के लिए भगवत की कथा सुनो। केवल सुनो ही नहीं बल्कि भागवत की मानों भी। सच्चा हिन्दू वही है जो कृष्ण की सुने और उसको माने , गीता की सुनो और उसकी मानों भी , माँ - बाप, गुरु की सुनो तो उनकी मानो भी तो आपके कर्म श्रेष्ठ होंगे और जब कर्म श्रेष्ठ होंगे तो आप को संसार की कोई भी वस्तु कभी दुखी नहीं कर पायेगी। और जब आप को संसार की किसी बात का फर्क पड़ना बंद हो जायेगा तो निश्चित ही आप वैराग्य की और अग्रसर हो जायेगे और तब ईश्वर को पाना सरल हो जायेगा

आचार्य भूषण दास, आचार्य कपिल मुनि, आचार्य धीरज, पंडित हर्ष, पंडित प्रकाश एवं पंडित सियाराम के द्वारा वेदमंत्रों के उच्चारण से वातावरण भक्तिमय हुआ। मुख्य यजमान बजरंगी प्रसाद शर्मा, पुष्पा शर्मा, जामवंती शर्मा ने ब्यास पीठ का पूजन किया। 

इस मौके पर अभिषेक शर्मा, शिवप्रसाद पांडेय, श्रीपाल शर्मा, उमाकांत शुक्ल, सुरेंद्र सिंह, रोहित शर्मा, केशवराम पांडेय, नितेश शर्मा, चंद्रभूषण, देवव्रत, सत्यव्रत, रिंकू शर्मा, जनकनंदिनी, विवेक शर्मा, कामिनी देवी, प्रेमनंदिनी, पूनम, उमेश पांडेय, प्रिंस शुक्ल, संदीप चौहान, अनमोल भट्ट, घनश्याम प्रजापति, अष्टभुजा भट्ट, रामगोपाल यादव, रामभारत यादव, आशीष चौधरी, आकाश चौधरी, बाबूराम चौरसिया, फूलराम वर्मा, आशुतोष शुक्ल मौजूद रहे।

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