बस्ती। नारायण सेवा संस्थान ट्रस्ट द्वारा आयोजित 9 दिवसीय संगीतमयी श्रीराम कथा दुबौलिया बाजार के राम विवाह मैदान में हवन, यज्ञ, भण्डारे के साथ सम्पन्न हुआ। कथा व्यास स्वामी स्वरूपानन्द जी महाराज ने कहा कि श्री रामचंद्र जी के राज्याभिषेक में समस्त ब्रह्मांड के देवी देवता पधारे थे। सभी ने राम को राजा बनते देखकर अपार हर्ष व्यक्त किया था। रामराज्य में किसी भी प्राणी को दुख नहीं था। कोई किसी से बैर भाव नहीं रखता था। असमय मृत्यु नहीं होती थी। सभी प्राणी बहुत सुखी रहते थे। अयोध्या में प्रसन्नता देखने लायक थी।
महात्मा जी ने कहा कि भरत ने चौदह वर्ष तक भगवान श्रीराम की खड़ाऊ सिंहासन पर रखकर राज-पाठ संभाला और अयोध्या वापस आने पर श्रीराम को सौंप दिया। आज के समाज को भरत जी से प्रेरणा लेने की जरूरत है, ताकि भाई से भाई का प्रेम बना रहे और परिवारों में आ रहीं दरारों को पाटा जा सके। परिवारों को विघटित होने से बचाया जा सके। साथ ही लोग वैश्विक परिवार की कल्पना को साकार करें। समाज को राम भक्त हनुमान से निस्वार्थ भक्ति की सीख लेनी चाहिए। महात्मा जी ने कहा कि रावण इतना ज्ञानी होने के कारण भी अपने अहंकार के कारण मारा गया। हमें रावण बध से यह सीखना चाहिये कि अपने जीवन को धर्मानुरागी बनाये।
श्रीराम कथा के विश्राम अवसर पर कथा व्यास का विधि विधान से मुख्य यजमान अजय सिंह, विभा सिंह ने कथा व्यास का पूजन किया। आयोजक बाबूराम सिंह, के.के. सिंह, आनंद शुक्ला कृष्ण दत्त दूबे, तुषार सिंह, हरिशंकर उपाध्याय, राजेश मणि त्रिपाठी, हीरा सिंह, राजेश सिंह, अमरजीत सिंह, हरिओम पाण्डेय, बब्लू पाण्डेय, कन्हैया दास, राजननरायन पाण्डेय, सत्यनरायन द्विवेदी के साथ ही बड़ी संख्या में क्षेत्रीय नागरिक श्रीराम कथा में शामिल रहे।
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