अलीगढ़। भारतीय जनता पार्टी में अलीगढ़ महानगर अध्यक्ष पद पर वैश्य महिला नेता को कमान सौंपने की तैयारी की जा रही है। चर्चा है कि महानगर की एक कद्दावर महिला नेता को लखनऊ बुलाकर बायोडाटा लिया गया है। इसके पीछे बड़ा कारण बताया जा रहा है कि यदि स्थानीय स्तर पर नामांकन करने वालों के नामों पर आम सहमति नहीं बनती है तो प्रदेश नेतृत्व अपने स्तर से निर्णय लेकर महानगर अध्यक्ष की घोषणा करेगा। इससे प्रदेश स्तर पर महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ाई जा सकेगी।
अलीगढ़ में नेताओं की गुटबाजी के प्रभावित हो रहा भाजपा संगठन का चुनाव प्रदेश नेतृत्व को काफी समय से परेशान कर रहा है। इसी के चलते मंडल अध्यक्षों का चुनाव काफी समय तक रुका रहा। किसी तरह पार्टी 35 मंडलों में से 19 मंडल अध्यक्षों की ही घोषणा हो सकी। अब जिलाध्यक्ष और महानगर अध्यक्ष के चुनाव में स्थानीय नेता एकजुट नहीं हो पा रहे। इसके चलते अध्यक्षों की घोषणा टाल दी गई। चर्चा है कि इसी दौरान महानगर अध्यक्ष पद के लिए वैश्य समाज की एक महिला नेता को प्रदेश नेतृत्व ने लखनऊ बुलाकर बायोडाटा लिया गया।
महानगर अध्यक्ष पद पर 47 नामांकन दाखिल हुए हैं, जिनमें इन महिला नेता का नाम नहीं है। चूंकि यह महिला नेता काफी वरिष्ठ हैं और पार्टी में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा चुकी हैं। प्रदेश स्तर पर पार्टी के कई कद्दावर नेताओं की टीम में सक्रिय रही हैं। इसलिए स्थानीय स्तर पर किसी नाम पर आम सहमति न बनने पर प्रदेश नेतृत्व महानगर की कमान इन्हें सौंप सकता है।
भाजपा के महानगर अध्यक्ष पद पर कभी महिला नेता की तैनाती नहीं हुई, जबकि महानगर की कई महिला नेता भाजपा में सक्रिय रही हैं। हालांकि भाजपा ने सावित्री वार्ष्णेय और शकुंतला भारती को महापौर बनाया है। अब यदि महिला को कमान सौंपी जाती है तो ऐसा पहली बार होगा। जिन महिला नेताओं ने नामांकन कराया है उनमें मधुलिका राघव, संगीता वार्ष्णेय, अनीता जैन, सीमा गौतम, डौली पाराशर प्रमुख नाम हैं।
महानगर अध्यक्ष पद के लिए 47 लोगों ने नामांकन भरे हैं, जिनकी सूची प्रदेश नेतृत्व को सौंप दी गई है। पार्टी महिलाओं को मौका दे रही है। इस संबंध में प्रदेश नेतृत्व को ही निर्णय लेना है। उम्मीद है कि कुछ दिन में अध्यक्ष की घोषणा कर दी जाए।- राजीव गुंबर, महानगर चुनाव अधिकारी
- जिलाध्यक्ष पद पर परिवर्तन की आहट
भाजपा नेताओं की गुटबाजी के चलते जिलाध्यक्ष पद भी परिवर्तन की आहट होने लगी है। चर्चा है कि गैर विवादित किसी वरिष्ठ नेता को जिले की कमान दी जाएगी, जिससे गुटबाजी को समाप्त किया जा सके। जातिगत समीकरणों को साधते हुए ब्राह्मण या क्षत्रिय समाज के नेता जिलाध्यक्ष बनाया जा सकता है। ऐसा होता है तो जिले की कमान जाट समाज से छिन जाएगी। दो वरिष्ठ नेताओं के नाम चर्चा में हैं, जो पूर्व में जिले में महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं।
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