बस्ती। पूर्व आईएएस मेधा संस्थापक स्व0 लक्ष्मीकान्त शुक्ल को उनके 72 वें जन्मदिन पर सोमवार को याद किया गया। प्रेस क्लब सभागार में आयोजित कार्यक्रम में मेधा प्रवक्ता दीन दयाल त्रिपाठी ने कहा कि छात्रों को आर्थिक आधार पर शुल्क प्रतिपूर्ति और छात्रवृत्ति की सुविधा, जाति मुक्त संविधान की परिकल्पना देने वाले लक्ष्मीकान्त को सेवा काल में ही जाति राज पुस्तक लिखने के कारण बसपा की सरकार में उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा। उनकी किताब जातिराज को तत्कालीन सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया इसके बावजूद वे डिगे नहीं और शिक्षा, के सवाल पर सड़क से सर्वाेच्च न्यायालय तक आखिरी सांस तक लड़ते रहे। उनकी प्रेरणा से मेधा लगातार शुल्क प्रतिपूर्ति और छात्रवृत्ति की सुविधा के सवाल पर संघर्षरत है और इसके बेहतर परिणाम सामने आ रहे हैं।
दीन दयाल तिवारी ने कहा कि यदि लक्ष्मीकान्त शुक्ल के संकल्पों, सिद्धान्तों का दृढता से पालन हो तो अनेक समस्याओं का समाधान हो जायेगा। कहा कि मेधा उनके सपनों को पूरा करने की दिशा में निरन्तर प्रयत्नशील है। कहा कि शिक्षा के बाजारीकरण, कमीशनखोरी से अभिभावक त्रस्त है, प्रति वर्ष कमाई के नजरिये से किताबें बदली जा रही है, प्रतिवर्ष रजिस्टेªशन फीस के नाम पर अभिभावकों को आर्थिक रूप से कंगाल किया जा रहा है। मेधा इन सवालों को लेकर निरन्तर संघर्षरत है।
कार्यक्रम में शीला पाठक, उमेश पाण्डेय ‘मुन्ना’, प्रदीप चन्द्र पाण्डेय, प्रवीण श्रीवास्तव, वीरेन्द्र शुक्ल, गणेश दूबे, वृजेश दूबे, प्रेमचन्द्र पाण्डेय, संजय प्रधान, प्रमोद यादव, राहुल तिवारी, अंशू चौरसिया, अंकंेश पाण्डेय, रूद्र आदर्श, जय प्रकाश गोस्वामी आदि ने मेधा द्वारा शिक्षा क्षेत्र में बदलाव के लिये किये जा रहे अभियान के पहल का स्वागत करते हुये पूर्व आईएएस मेधा संस्थापक स्व0 लक्ष्मीकान्त शुक्ल को नमन् किया।
स्व0 लक्ष्मीकान्त शुक्ल के चित्र पर माल्यार्पण कर नमन् करने वालों में विजय पाण्डेय, आकाश कन्नौजिया, आशीष श्रीवास्तव, कौशल किशोर, गिरीश चन्द्र गिरी, हरि दूबे, नागेन्द्र मिश्र, प्रतीक मिश्र, अजीत कुमार पाण्डेय, राम बोध तिवारी, मयंक पाण्डेय, प्रज्जवल श्रीवास्तव, आयुष उपाध्याय, डा. वीरेन्द्र, राजेश दूबे, अंशू उपाध्याय, राजू दूबे, के साथ ही बड़ी संख्या में लोग शामिल रहे।
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