महादेवा (बस्ती) । भक्तों की रक्षा के लिए श्रीराम जी हमेशा धनुष बाण लेकर तैनात रहते है। प्रेत की बन्दना करना अधोगति देता है। भूत प्रेत पिसाच की आराधना करने वाला वही बन जाता है। गोस्वामी जी ने सबकी बन्दना करने के बाद श्रीराम जी की बन्दना की। धन, बल, बुद्धि परे जीव का यदि कुछ अपना है वह है भगवान की भक्ति। देवताओं का आहार है मंत्राहुति। बिना देवता के यह संसार चल नही सकता। मंत्र केवल ब्राम्हणों के ही आधीन है। ब्राम्हण का लक्षण है कि वह ब्राम्हण कुल में जन्म लिया हो। यज्ञोपवीत संस्कार हो 12 वर्ष तक स्वपाकी और सदाचारी बनकर वेद पढ़े। वेद पढ़ने के बाद वह विप्र हो जाता है। ब्राम्हण जब अपने कर्म से च्युत हो जाता है तो उसे ब्राम्हणेत्तर या चांडाल कहा जाता है।
यह उपदेश राष्ट्रीय संत अयोध्या धाम से पधारे अवधेश जी महाराज जी ने विकास क्षेत्र बनकटी के महादेवा चौराहे पर राम मड़ैया में आयोजित पांच दिवसीय श्री हनुमान कथा के पांचवे दिन प्रवचन सत्र में व्यास मंच से व्यक्त किया।
भगवान शिव जी ने कुम्भज ऋषि से रामजी की कथा सुनाने की जिज्ञासा की और कथा सुनकर बड़ा सुख माना। माता सती ने अभिमान वश कूंभज ऋषि से श्री राम की कथा को नही सुना और श्री राम पर संदेह किया। माता सीता का रूप धारण कर श्रीराम की परीक्षा लेने गई तो प्रभु श्रीराम ने माता कहकर प्रणाम किया। ध्यान करने पर शिव जी को सब पता चल गया और मन ही मन उन्होंने सती का परित्याग कर दिया। उसके बाद माता सती बिना बुलाए अपने पिता के यज्ञ में गई। भगवान शंकर का और अपना अपमान सहन नही कर सकी। योग अग्नि के द्वारा अपने शरीर को जलाकर भस्म कर दिया। लेकिन माता सती ने दोबारा जन्म लिया और जिसके बाद हर-गौरी का विवाह आनंदपूर्वक संपन्न हुआ। राजा हिमाचल ने कन्यादान दिया। विष्णु भगवान तथा अन्यान्य देव और देव-रमणियों ने नाना प्रकार के उपहार भेंट किए। ब्रह्माजी ने वेदोक्त रीति से विवाह करवाया। विवाह उत्सव का आनंद लेते हुए सभी ने झूमकर नाच कूद कर अपनी हाजिरी लगाई तथा कथा के अंत में भगवान शंकर के विवाह और दिव्य देवताओं और भूत प्रेतों सहित बारात कि बहुत सुंदर झांकी भी दिखाई गई। जिसका सभी ने दर्शन किया।
जहां पर जगदंबा शुक्ला, डॉक्टर राम प्रताप शुक्ला, रघुनाथ सिंह, चंद्रशेखर मुन्ना, जगदीश शुक्ला, बनकटी मंडल अध्यक्ष अंकित पांडेय, कलवारी भाजपा मंडल अध्यक्ष संजय कुमार चौरसिया, मनीष त्रिपाठी, रमेश अग्रहरि, रवीन्द्रनाथ तिवारी, महेश सोनकर, ओमप्रकाश शुक्ल, उमाशंकर तिवारी, रामचंद्र शुक्ल, हरिराम गुप्ता, दीपक पाल सहित अन्य भक्तगण भी कथा स्थल पर मौजूद रहे।
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