पुरी। असम के 32वें राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने गुरुवार को पुरी स्थित प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर का दौरा किया और भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद प्राप्त किया। उन्होंने गहरी श्रद्धा और आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह अनुभव उनके जीवन को समृद्ध करने वाला था। उन्होंने कहा कि ऐसे पूजनीय और पवित्र स्थल पर आकर गौरवान्वित महसूस किया।
राज्यपाल आचार्य ने अपनी यात्रा के दौरान देश की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को महत्व देते हुए कहा कि ये परंपराएं लोगों में भक्ति और सांस्कृतिक गर्व को बढ़ावा देती हैं। उन्होंने कहा कि देश की समृद्ध धरोहर एक बेहतरीन उदाहरण है, जो दुनिया भर में एकता और आध्यात्मिकता का प्रतीक बनी हुई है।
राज्यपाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सराहना की, जिन्होंने विभिन्न त्योहारों के राष्ट्रीय स्तर पर मनाने के साथ-साथ सांस्कृतिक महत्व वाले स्थलों के विकास को भी बढ़ावा दिया। उन्होंने यह भी कहा कि मोदी जी के नेतृत्व में देश अपनी सांस्कृतिक धरोहर को सहेजते हुए लगातार प्रगति की दिशा में अग्रसर हो रहा है। पुरी जगन्नाथ मंदिर के वास्तुशिल्प और उसकी भव्यता की भी राज्यपाल ने तारीफ की और आशा जताई कि देश के विकास और समृद्धि की यह यात्रा निरंतर जारी रहेगी।
भगवान जगन्नाथ के दर्शन के बाद राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने मीडिया से बात करते हुए कहा, महाप्रभु जगन्नाथ जी के पावन दर्शन करके मेरा जीवन धन्य हो गया। मुझे बहुत प्रसन्नता है कि भगवान जगन्नाथ जी का जितना बड़ा महत्व दुनिया में है, उसके अनुरूप यह भव्य मंदिर दिखाई देता है। ऐसे धर्म और श्रद्धा के केंद्रों का संचित विकास होने से हमारे युवाओं और समाज के लोग यहां आकर दर्शन करेंगे। इससे उनके अंदर आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विकास होगा, चरित्र का निर्माण होगा, और इनके महत्व को समझकर एक सुंदर भारत बनाने में योगदान मिलेगा। जिसके लिए भारत जाना जाता है, वैसा भारत बनाने में ये केंद्र सहायक होंगे।
उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में अनेक प्रकार के उत्सव मनाए जा रहे हैं। हमारे सभी सांस्कृतिक महत्व के केंद्रों का संचित विकास हो रहा है। इसे देखकर बहुत अच्छा लगता है। यहां का भी संचित विकास देखकर मुझे बहुत आनंद हुआ। मैंने भगवान जगन्नाथ के दर्शन करके अपने जीवन को धन्य किया। मैंने असम राज्य की जनता की खुशहाली के लिए और पूरे देश में एक सुंदर, शांत, और विकसित भारत बनने की दृष्टि से प्रार्थना की।
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