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Sunday, March 23, 2025

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भगवान अपने भक्तों की उम्र जाति प्रभाव नहीं देखते, बल्कि भाव के भूखे - विद्याधर भारद्वाज

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महादेवा (बस्ती)। विकास खण्ड बनकटी महादेवा बाजार में नौ दिवसीय श्री मद भागवत कथा चौथा दिन रविवार को अयोध्या धाम से आए हुए विद्याधर भारद्वाज  ने कहा कि राजा उत्तानपाद के गोद में उत्तम बैठा हुआ था यह दृश्य देख बालक ध्रुव के मन में गोंद में बैठने की लालसा जगी और वह गोद में चढ़ने का प्रयास करने लगे कभी सुरुचि नें ध्रुव को डांट कर बोला इस गोद में बैठने का अधिकार तुम्हारा नहीं। इस गोद में वही बैठेगा जो मेरे गर्भ से जन्म लिया हो। विमाता ने ध्रुव को डांट कर बोला जाओ परमपिता तपस्या करो। परमपिता से वरदान मांगो मेरे गर्भ में आने का सौतेली माता के वचनों से आहत ध्रुव अपनी मां के पास जाकर बोले माँ मैं क्या करूँ माता सुनीत बोलती है पुत्र पिता से दस गुना बड़ा अधिकार माता का होता है और माता से दस गुना बड़ा अधिकार सौतेली माता का होता है अत:जाओ तुम वन में तपस्या करो। 5 वर्ष की अवस्था में ध्रुव जी महाराज नें तप प्रारम्भ कर नारायण का दर्शन कर सिंहासन का भोग 36 हजार वर्ष तक किया अंत में ध्रुव लोक में स्थित हो दुनिया को दर्शन देने लगे।  भगवान अपने भक्तों की उम्र जाति प्रभाव नहीं देखते प्रभु तो भाव के भूखे हैं । उसी के वशीभूत विदुर के यहाँ साग भी ग्रहण कर लिए। कथा के मध्य सप्तद्वीप सप्तसागर आदि का भी वर्णन किया गया।

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