बस्ती। भगवान शिव का विवाह मंगलकारी है। वे धर्म की सवारी कर वृषभ पर बैठकर बारात लेकर निकले। उनका भेष भले ही विलक्षण हो किन्तु वे समाज को संदेश देते हैं कि विवाह संस्कार में अनावश्यक प्रदर्शन न किया जाय।शंकर जी की बारात में दुनिया के सभी विलक्षण जीव थे। देवता से लेकर भूत-पिशाच तक इस बारात में शामिल हुए। यह सद् विचार कथा व्यास स्वामी स्वरूपानन्द जी महाराज ने नारायण सेवा संस्थान ट्रस्ट द्वारा आयोजित 9 दिवसीय संगीतमयी श्रीराम कथा का दुबौलिया बाजार के राम विवाह मैदान में तीसरे दिन व्यक्त किया।
कथा को विस्तार देते हुये महात्मा जी ने कहा कि बारात जब हिमांचल राज के यहां पहुंची तो माता मैना देवी भगवान शिव की आरती करते वक्त बेहोश हो गईं। विद्वानों का कहना है कि मैना देवी को लगा कि जिसने सिर पर चंद्रमा धारण किया हो उसकी आरती एक छोटे दीपक से कैसे हो सकती है। इसी प्रकार जिसकी जटाओं से गंगा जी निकली हों उसकी पूजा एक लोटा जल से कैसे हो सकता है। बारात का यथोचित स्वागत के बाद वैदिक रीति रिवाज से विवाह सम्पन्न कराया गया।
महात्मा जी ने कहा कि श्रीराम का जीवन ऐसा पवित्र है कि उनके स्मरण मात्र से हम पवित्र हो जाते हैं। उनका अवतार जगत को मानव धर्म उपदेश के लिये था। सभी दिव्य गुण जिसमें एकत्र होते हैं वही परमात्मा है। लक्ष्मण विवेक, भरत वैराग्य और शत्रुघ्न सद विचार स्वरूप है। चंदन और पुष्प से श्रीराम की सेवा करना अच्छी बात है किन्तु उनकी मर्यादा का पालन सर्वोत्तम है। जिसका व्यवहार रामजी जैसा होगा उसकी भक्ति सफल होगी।
श्रीराम कथा के तीसरे दिन मुख्य यजमान अजय सिंह, विभा सिंह ने कथा व्यास का पूजन किया। आयोजक बाबूराम सिंह, अनिल सिंह, कन्हैया दास, राजननरायन पाण्डेय, सत्यनरायन द्विवेदी, राधेश्याम, सभाजीत चौधरी, जीत बहादुर सिंह, विश्वम्भर, दुर्गा प्रसाद गुप्ता, श्यामलाल गुप्ता, दंगल गुप्ता, रामकिंकर सिंह, संजीव सिंह, सुनील सिंह, जसवन्त सिंह, अनूप सिंह, प्रमोद पाण्डेय, हर्षित सिंह, आदित्य सिंह, अरूण सिंह, मनोज गुप्ता, देवनरायन चौहान, नीरज गुप्ता, रामू, इन्द्रपरी सिंह, शीला सिंह के साथ ही बड़ी संख्या में क्षेत्रीय नागरिक श्रीराम कथा में शामिल रहे।
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