बस्ती। सृष्टि में जब-जब अनीति, कुबुद्धि, कुविचार का विस्तार होता है ईश्वर विभिन्न रूपों में जन्म लेकर जगत का मार्ग दर्शन करते हैं। संसार में जड़ चेतन जो कुछ भी दृश्य अदृश्य है उसमें परमात्मा का वास है। यह सृष्टि ईश्वर की इच्छा पर संचालित हो रही है। जीव का धर्म है कि वह सहजता से शिव में विलय के लिये अपने आप को इस रूप में प्रस्तुत करे जिससे जीवन और जगत दोनों का कल्याण हो। यह सद् विचार कथा व्यास स्वामी स्वरूपानन्द जी महाराज ने नारायण सेवा संस्थान ट्रस्ट द्वारा आयोजित 9 दिवसीय संगीतमयी श्रीराम कथा का दुबौलिया बाजार के राम विवाह मैदान में सूत्रपात करते हुये व्यक्त किया।
ऊं नमो भगवते वासदेवाय और हनुमान जी की आराधना से आरम्भ कथा को विस्तार देते हुये महात्मा जी ने कहा कि ‘सियाराम मय सब जग जानी’’ जगत में ऐसा कुछ भी नही जो परमात्मा से भिन्न हो। भक्ति ही नही शत्रु भाव से भी जिसने परमात्मा को अपने चित्त में रखा उसका कल्याण हो गया। रावण, कंस, हिरण्यकश्यप सहित अनेक उदाहरण है जिन्हें परमात्मा ने मुक्ति प्रदान किया। महात्मा जी ने शिव तत्व का वर्णन करते हुये कहा कि जहां प्राकृतिक शत्रुता मित्रता में बदल जाय वहीं शिव तत्व समर्थ हो जाता है। महात्मा जी ने कहा कि श्रीराम कथा कल्प वृक्ष के समान है।
श्रीराम नाम महिमा का वर्णन करते हुये महात्मा जी ने कहा कि श्रीराम ने रावण और कुछ राक्षसों का बध किया किन्तु श्रीराम का नाम तो युगो युगो से करोड़ो जीवों का उद्धार कर रही है। भगवान शंकर की कृपा के बिना श्रीराम के हृदय में प्रवेश संभव नही है।
श्रीराम कथा के प्रथम दिन कथा व्यास का विधि विधान से पूजन करते हुये विधायक अजय सिंह ने कहा कि गांव- गांव श्रीराम कथा का आयोजन आवश्यक है जिससे नयी पीढी श्रीराम की मर्यादा, त्याग को अपने जीवन में उतारे, इससे स्वस्थ, समृद्ध समाज के निर्माण की दिशा में सहायता मिलेगी। प्रमुख योगेन्द्र सिंह ने कहा कि श्रीराम कथा धरती पर अमृत के समान है। मानस पुस्तक नहीं वरन मानव समाज का मस्तक है। मुख्य यजमान अजय सिंह, विभा सिंह ने वैदिक परम्परा के अनुरूप कथा व्यास का पूजन किया। आयोजक बाबूराम सिंह, अनिल सिंह, जीत बहादुर सिंह, बालेश्वरी सिंह, सुरेन्द्र बहादुर सिंह, अशोक सिंह रिकूं, कृष्ण दत्त दूबे, संजीव सिंह, सुनील सिंह, जसवन्त सिंह, अनूप सिंह, प्रमोद पाण्डेय, हर्षित, अरूण सिंह, मनोज गुप्ता, देवनरायन चौहान, नीरज गुप्ता, रामू, इन्द्रपरी सिंह, दीक्षा सिंह, शीला सिंह के साथ ही बड़ी संख्या में क्षेत्रीय नागरिक श्रीराम कथा में शामिल रहे।
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