गोरखपुर। सरस्वती शिशु मन्दिर पक्कीबाग गोरखपुर में संत रविदास जी की जयन्ती के पूर्व संध्या पर कार्यक्रम को संबोधित करती हुई मुख्य वक्ता आचार्या सुश्री अंकिता सिंह ने कहा कि संत शिरोमणि रविदास जी एक महान संत, कवि और समाज सुधारक भी थे। बचपन से ही रविदास जी को धर्म और आध्यात्मिक विषयों में रुचि थी। रविदास जी अपनी जीवनगाथा को अपने लेखों के माध्यम से व्यक्त करते थे। उन्होंने सदैव कर्म को प्रधानता दी, अपने लेखों में समाज के विभिन्न वर्गों के बीच धर्म के महत्व को बताया और लोगों को धर्म के उच्च मानकों को अपनाने के लिए प्रेरित किया। संत रविदास ने अपने दोहों व पदों के माध्यम से समाज में जातिगत भेदभाव को दूर कर सामाजिक एकता पर बल दिया और मानवतावादी मूल्यों की नींव रखी।
प्रधानाचार्य डॉ राजेश सिंह ने कहा कि प्राचीन काल में भारत के पुनरुत्थान में एवं आधुनिक भारत के निर्माण में भी संतो की बहुत बड़ी भूमिका रही है। छत्रपति शिवा जी, सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य आदि को आज इतिहास में नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित है यह उनके महान गुरुओं की ही देन हैं। संत की कोई जाति नहीं होती है। संत समाज से ऊपर होते हैं। संत रविदास ने समाज में समानता, सामंजस्य स्थापित करने में सेतु की भूमिका का निर्वाह किया।
कार्यक्रम का संचालन आचार्य निर्मल यादव ने किया। इस अवसर पर विद्यालय की प्रथम सहायक श्रीमती रुक्मिणी उपाध्याय सहित समस्त विद्यालय परिवार उपस्थित रहा।
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