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Sunday, February 23, 2025

महाकुंभ को भव्य और दिव्य बनाने में में रेलवे की अग्रणी भूमिका

तीर्थयात्रियों ने 14 हजार से ज्यादा ट्रेनों का लिया लाभ


अभी तक 3.6  करोड़ श्रद्धालुओं को कुंभ एरिया में हैंडल किया गया


92 प्रतिशत ट्रेनें मेल, एक्सप्रेस, सुपर.फास्ट, पैसेंजर और मेमो श्रेणी की रहीं, जबकि 472 राजधानी और 282 वंदे भारत ट्रेनें संचालित हुईं


50 प्रतिशत ट्रेनें उत्तर प्रदेश से शुरू हो के प्रयागराज एरिया को आयी जबकि दिल्ली से 11 प्रतिशत बिहार से 10 प्रतिशत और महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, राजस्थान व गुजरात जैसे अन्य राज्यों से 3-6 प्रतिशत ट्रेनें आईं



गोरखपुर। आस्था के महासागर प्रयाग तीर्थ के संगम तट पर चल रहे महाकुंभ के विराट आयोजन में ऐसे तो तमाम विभागों और एजेंसियों ने अपनी-अपनी भूमिकाओं का निर्वाह कियाए लेकिन इसमें रेलवे की भूमिका निसंदेह अग्रणी है। इस विशाल आयोजन में रेलवे ने जिस तरह पूरे देश भर से तीर्थयात्रियों को प्रयाग की पुण्यभूमि तक पहुंचने में मदद कीए वह न सिर्फ अभूतपूर्व हैए बल्कि रेल संचालन की दृष्टि से कई मामलों में अनोखा रिकार्ड भी बना है। हालांकि महाकुंभ अब समापन की ओर हैए लेकिन एक अनुमान के मुताबिक करीब डेढ़ माह के इस आयोजन में 12 से 15 करोड़ तीर्थयात्रियों ने ट्रेन यात्रा का लाभ कही ना कन्ही उठाया। दूसरे शब्दों में महाकुंभ के करीब एक चौथाई तीर्थयात्रियों ने प्रयागराज या  अग़ल बग़ल के प्रमुख शहरों तक पहुंचने में ट्रेनों की ही मदद ली। 


इस बार प्रयागराज के महाकुंभ को दिव्य और भव्य बनाने के संकल्प को पूरा करने में रेलवे ने आगे बढ़कर भूमिका निभाई। यह बताने की जरूरत नहीं कि दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले अपने देश में रेलवे पर कितना दवाब है। ऐसे में महाकुंभ के आयोजन से बहुत पहले से ही रेलवे अपनी कार्ययोजना को मूर्त रूप देने में जुट गया था।  इसके तहत देश के विभिन्न हिस्सों से तीर्थयात्रियों की अनुमानित संख्या के हिसाब से ट्रेनों के संचालन की योजना बनाई गई। साथ ही महाकुंभ को दौरान भीड़ बढ़ने की स्थिति में आपात योजना भी बनाई गई। आम दिनों में ट्रेनों में रहने वाली भीड़ के मद्देनजर रेलवे ने इसके लिए विशेष उपायों को अपनाया। इसके तहत किसी एक रूटए ट्रेन या बड़े स्टेशन पर दवाब को हटाने के लिए विशेष इंतजाम किए गए। तीर्थयात्रियों की संख्या और मांग के अनुरूप एक के बाद एक विशेष ट्रेनें चलाई गईं।

 

यह आंकड़ा थोड़ा विस्मित भी करता है कि महाकुंभ की शुरुआत से लेकर अब तक 13,667 ट्रेनें तीर्थयात्रियों को लेकर प्रयागराज और उसके अन्य स्टेशनों तक पहुंचीं। इनमें 3,468 विशेष ट्रेनों की सुरुअत कुंभ एरिया से  हुई, एवं  2008 ट्रेनों कुंभ एरिया बाहर से आयी, बाक़ी  8,211 नियमित ट्रेनें थीं। शहर में प्रयागराज समेत कुल नौ स्टेशन हैं, जहां ट्रेनों का आवागमन हुआ। अकेले प्रयागराज स्टेशन पर ही पांच हजार ट्रेनें का लाभ श्रद्धालुओं को मिला ।   


प्रयागराज क्षेत्र के स्टेशनों- प्रयागराज जं. से 5332, नैनी जं. से 2017, प्रयागराज छिवकी से 1993, सूबेदारगंज से 4313, झूसी से 1207, प्रयागराज रामबाग से 764, प्रयाग जं. से 1326, प्रयागराज संगम से 515 तथा फाफामऊ से 1010 ट्रेनें श्रद्धालुओं की सुविधा हेतु चलाई गई। इसी प्रकार श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए उत्तर प्रदेेश के स्टेशनों से 6434, दिल्ली के स्टेशनों से 1343 , बिहार के स्टेशनों से 1197, महाराष्ट्र के स्टेशनों से 740, पश्चिम बंगाल के स्टेशनों से 560, मध्य प्रदेश के स्टेशनों से 400, गुजरात के स्टेशनों से 310, राजस्थान के स्टेशनों से 250, असम के स्टेशनों से 180 तथा छत्तीसगढ़ के स्टेशनों से 101 ट्रेनें चलाई गई है।

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