- जिला चिकित्सालय में रोजाना सौ से डेढ़ सौ एंटी रैबीज इंजेक्शन की हो रही खपत
बस्ती। इन दिनों कुत्तों, बिल्लियों, सियारों व बंदरों समेत अन्य घुमंतू जानवरों के काटने और पंजा मारने के कारण रोगियों की संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा है। जिला चिकित्सालय की ओपीडी में रोजाना सौ से डेढ़ सौ केस आ रहे हैं। जबकि जिले के अन्य सीएचसी व पीएचसी पर भी इस श्रेणी के रोगियों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिले में कुत्तों व बंदरों का खौफ बढ़ता जा रहा है।
जिला चिकित्सालय में इन दिनों सुबह से ही कुत्तों व बंदरों के शिकार लोगों की भीड़ जुट रही है। इनमें सबसे अधिक संख्या बच्चों की रहती है। इसके पीछे कारण यह है कि ठंड के दिनों में कुत्तों की प्रजनन क्रिया होती है और छोटे बच्चे इनके पिल्लों के साथ खेलते हैं। लिहाजा वह उनके पंजों व आक्रोश के शिकार हो जाते हैं। वहीं जिले में हुई बंदरों की बढ़ोत्तरी ने उनके हमलों को भी तेज कर दिया है। इसके अलावा सियार, सोनिहार व अन्य प्रजाति के जानवर भी आबादी में घुस कर हमला बोल देते हैं। लिहाजा पीड़ितों की संख्या बढ़ती जा रही है। जिला चिकित्सालय के एंटी रैबीज विभाग के प्रभारी विजय प्रकाश चतुर्वेदी व अशोक चौधरी के अनुसार पिछले तीन महीने में रोजाना औसतन सवा सौ केस आ रहे हैं। जिनमें 25 फीसदी केस बंदरों के काटने के रहते हैं। वहीं कुत्तों के काटने या पंजा मारने के केस सबसे अधिक बच्चों के आते हैं। दूसरी तरफ जिला चिकित्सालय में एंटी रैबीज का इंजेक्शन लगवाने पहुंचे नगर बाजार निवासी संतोष श्रीवास्तव ने बताया कि घर के पास छोटे-छोटे पिल्ले खेल रहे थे। मेरी बिटिया भी उनके साथ खेल रही थी कि अचानक उन पिल्लों की मां ने आकर हमला बोल दिया और उसका पंजा लग गया। जिसे इंजेक्शन लगवाने आया हूं। वहीं रुधौली से आए सत्येंद्र जायसवाल ने बताया कि हमारे यहां सीएचसी पर एंटी रैबीज इंजेक्शन नहीं मिला तो जिला चिकित्सालय में आए हैं और अभी पत्नी के साथ लाइन में लगे हुए हैं। बताया कि सुबह आठ बजे से पत्नी को इंजेक्शन लगवाने का इंतजार कर रहा हूं। जिला चिकित्सालय के आयुष विभाग के अध्यक्ष डॉ. वीके वर्मा ने बताया कि एंटी रैबीज व टिटनेस के इंजेक्शन की पर्याप्त व्यवस्था है। साथ ही पंजीकरण करवाने के बाद सभी को समय से सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
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