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Wednesday, February 26, 2025

शिवरात्रि पर्व जागरण का पर्व है-हमें यज्ञ, दान, तप और स्वाध्याय का देता है सन्देश -ओम प्रकाश आर्य


बस्ती। शिवरात्रि पर्व जागरण का पर्व है। संभवतः इस पर्व के नाम में रात्रि होने का यही अभिप्राय है कि गहन अंधकार में ‘जागने’ का दायित्त्व और भी बढ़ जाता है। वैसे तो रात्रि सोने के लिए है और दिन जागरण के लिए। प्रत्येक रात्रि के अन्त में सूर्योदय होता है, लेकिन अज्ञान की रात्रि का अन्त तो जागरण से ही संभव है। जो जब जागता है, उसके लिए तभी सुबह है। जो जागता है उसके लिए हर सुबह एक वरदान है, जो जागता नहीं है, ज्ञान के प्रकाश में भी आँख बंद करके ज्ञान से वंचित रहता है, उसके लिए प्रत्येक वरदान एक अभिशाप है।महाशिवरात्रि पर्व के अवसर पर आदियोगी भगवान शिव की पूजा अर्चना के साथ यज्ञ, दान, तप और स्वाध्याय की प्राचीन परिपाटी रही है। वही क्रम आज तक चल रहा है। आर्य समाज नई बाजार बस्ती बस्ती में महाशिवरात्रि का पर्व ऋषिबोध उत्सव के रूप में मनाया गया जिसमें आर्य समाज और आर्य वीर दल के पदाधिकारियों के साथ बालक बालिकाओं ने भी हिस्सा लिया। बच्चों को महाशिवरात्रि पर्व का महत्व बताते हुए ओम प्रकाश आर्य प्रधान आर्य समाज नई बाजार बस्ती ने बताया कि यह पर्व हमें यज्ञ, दान, तप और स्वाध्याय की प्रेरणा देता है। अपने भीतर शिवत्व को धारण करने और शिवसंकल्प वाला बनने के लिए हमें अपने वैदिक ग्रंथों स्वाध्याय करना और तप करना होता है। 14 वर्ष के मूलशंकर ने जब शिवलिंग पर चूहे को चढ़कर मल मूत्र करते हुए चढ़ाए गए पदार्थों को खाते देखा तो उन्हें महसूस हुआ कि जिस देवादिदेव और परमशक्तिमान शिव के बारे में सुना था वह यह नहीं हो सकता यह जानकर परंपरागत व्रत तोड़कर और समाज में फैले अज्ञान अंधविश्वास को मिटाने का महाव्रत धारण कर सच्चे शिव की खोज में निकल पड़े और कठिन तप और स्वाध्याय से सच्चे शिव के स्वरूप को पहचाना और समाज के लिए वेदों का भाष्य कर जनसुलभ बनाया। छत्तीसगढ़ से पधारे आचार्य रूपेन्द्र मुख्य व्यायाम शिक्षक सार्वदेशिक आर्य वीर दल दिल्ली ने कहा कि महर्षि दयानन्द सरस्वती को महसूस हुआ कि बिना गुरुकुलों और गौरक्षा के हमारा देश कभी उन्नति नहीं कर सकता इसलिए उन्होंने बालक बालिकाओं के लिए गुरुकुल खोले और गोकरुणानिधि पुस्तक लिखकर गोरक्षा को एक आंदोलन बना दिया। इसके अलावा सत्यार्थ प्रकाश पुस्तक लिखकर देश में फैले भ्रामक मत मतांतरों और विचारधाराओं से भी लोगों को मुक्त कराया। 

गरुण ध्वज पाण्डेय और आदित्यनारायण गिरी ने बताया कि आज यह पर्व हमें उनके विचारों को आगे बढ़ाने की प्रेरणा देता है। आर्य समाज उनके लोककल्याणकारी कार्यों को शिक्षा सेवा सहायता और युवा प्रशिक्षण के रूप में आगे बढ़ा रहा है। जन जन में देश और धर्म के प्रति अगाध श्रद्धा के भाव भरने के लिए आर्य समाज और आर्य वीर दल हमेशा तैयार रहेगा। 

कार्यक्रम में मुख्य रूप से अलख निरंजन आर्य, नितीश कुमार, शिव श्याम, अनूप कुमार त्रिपाठी, दिनेश मौर्य, अनीशा मिश्रा, शिवांगी गुप्ता, महक मिश्रा, पूजा गौतम, अंशिका पाण्डेय, प्रीति रावत, स्वप्नल, राधेश्याम आर्य, अनीश कुमार सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।

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