लखनऊ। भवन निर्माण के लिए विकास प्राधिकरणों द्वारा भवन परमिट, विकास परमिट, निरीक्षण, इम्पैक्ट (समाघात) फीस आदि को अब फिर से वसूला जा सकेगा।
शासनादेश के तहत फीस वसूलने पर सर्वाेच्च अदालत द्वारा रोक लगाए जाने पर राज्य सरकार ने उत्तर प्रदेश नगर योजना और विकास अधिनियम के तहत नए सिरे से नियमावली बनाकर फीस वसूलने का रास्ता साफ कर दिया है।
हालांकि, सरकार ने सभी तरह की फीस की दरें यथावत ही रखी हैं। एक हेक्टेयर भूमि पर जहां 10 हजार रुपये विकास परमिट फीस देनी होगी वहीं न्यूनतम पांच रुपये प्रति वर्ग मीटर भवन परमिट फीस वसूली जाएगी। फीस से होने वाली कमाई से विकास प्राधिकरण शहर में अवस्थापना संबंधी विकास के कार्य करा सकेंगे।
- दो तरह की नियमावलियां
विकास व परमिट फीस को वसूलने के लिए सरकार ने जहां उत्तर प्रदेश नगर योजना और विकास अधिनियम-1973 के तहत उत्तर प्रदेश नगर योजना और विकास (विकास परमिट फीस, भवन परमिट फीस और निरीक्षण फीस का निर्धारण, उद्ग्रहण और संग्रहण) नियमावली-2024 वहीं इम्पैक्ट फीस के लिए उत्तर प्रदेश नगर योजना और विकास (समाघात फीस का निर्धारण, उद्ग्रहण और संग्रहण) नियमावली-2024 बनाई है।
आवास एवं शहरी नियोजन के प्रमुख सचिव पी गुरूप्रसाद द्वारा मंगलवार को जारी अधिसूचना के मुताबिक प्रदेश के सभी विकास क्षेत्रों पर तत्काल प्रभाव दोनों नियमावली लागू होंगी।
ऐसे में अब विकास प्राधिकरणों द्वारा किसी भवनों के मानचित्र पास कराने पर विभिन्न प्रकार की फीस वसूली जा सकेगी। प्रमुख सचिव गुरूप्रसाद ने बताया कि नए सिरे से नियमावली बनाई गई है लेकिन पूर्व में जारी शासनादेश में दी गईं फीस की दरें यथावत रखी गई हैं।
- यह है नियम
गौरतलब है कि लेआउट प्लान के मामले भूमि के कुल क्षेत्रफल के आधार पर विकास परमिट फीस को वसूला जाता है। एक हेक्टेयर तक भूमि के विकास के लिए जहां 10 हजार रुपये विकास परमिट फीस वसूला जाता है, वहीं 2.5 हेक्टेयर होने पर 20 हजार, पांच हेक्टेयर होने पर 30 हजार रुपये और पांच हेक्टेयर से अधिक होने पर प्रत्येक पांच हेक्टेयर के लिए 15 हजार रुपये अतिरिक्त फीस देनी होती है।
इसी तरह आवासीय भूखंड होने पर पांच रुपये प्रति वर्गमीटर भवन परमिट फीस वसूली जाती है। समूह आवास होने पर 15 रुपये जबकि वाणिज्यिक-कार्यालय आदि के उपयोग पर 30 रुपये प्रति वर्ग मीटर भवन परमिट फीस रखी गई है। विकास परमिट के मामले में 10 रुपये जबकि भवन परमिट के मामले में 20 रुपये प्रतिवर्ग मीटर निरीक्षण फीस तय की गई है।
- इम्पैक्ट फीस की दरें भी पहले की तरह
भूमि के उपयोग के अनुसार, वसूली जाने वाली इम्पैक्ट फीस की दरें भी पहले की तरह ही रखी गई हैं। निम्न भूमि उपयोग(कृषि, ग्रीन बेल्ट आदि) से उच्च भूमि उपयोग(वाणिज्यिक) के मामले में डेढ़ गुना तक इम्पैक्ट फीस वसूलने की व्यवस्था नियमावली में रखी गई है।
भूमि उपयोग में बदलाव करने के लिए विकास प्राधिकरणों को आम जनता से आपत्तियां व सुझाव मांगकर उन्हें समिति गठित कर निस्तारित करना होगा। फीस से होने वाली आय को अवस्थापना विकास निधि में जमा किया जाएगा, जिससे विकास प्राधिकरण, शहर में अवस्थापना संबंधी कार्य करा सकेंगे। प्रभाव शुल्क से होने वाली आय को संबंधित शहर की बुनियादी सुविधाओं के विकास पर ही खर्च किया जाएगा।
No comments:
Post a Comment