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Saturday, January 11, 2025

युवाओं में असंभव को संभव कर दिखाने की क्षमता - माँ राजलक्ष्मी मंदा


गोरखपुर। सरस्वती शिशु मन्दिर पक्कीबाग में अयोध्या स्थित राम मंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा की प्रथम वर्षगांठ एवं स्वामी विवेकानंद की जयंती ‘युवा दिवस’ की पूर्व संध्या पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए द्वादश ज्योतिर्लिंग संगम क्षेत्र श्री रामजानकी मंदिर की पीठाधीश्वर माँ राजलक्ष्मी मंदा ने कहा कि जीवन में कोई चीज आसाध्य नहीं है। असाध्य को साध्य बनाने वाले राम हैं। भगवान राम को यदि अपने जीवन में उतारना है तो उनके 16 गुणों का अपने जीवन में पालन करना होगा। भगवान राम जी धर्म बद्ध, कर्म बद्ध, वचन बद्ध और सभी गुणों को धारण करने वाले और सभी कार्यों में सक्षम हैं। राम हमारे देश की पहचान हैं, शान हैं, और हिम्मत हैं। 500 वर्षो के संघर्ष के बाद भव्य मन्दिर का निर्माण सम्पन्न हुआ है जिसके लिए लाखों लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी है।

यह भक्ति और शक्ति इस धरती पर युगों- युगों तक बनी रहनी चहिये इसके लिए युवाओं की जरूरत है। युवाओं को आधुनिक होते हुए अपनी संस्कृति और धर्म को ले कर चलना चहिये।लस्वामी विवेकानंद जी के जीवन पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि स्वामी जी ने युवाओं से कहा था की "Every thing is within You, You can do every thing" सब कुछ हमारे भीतर है हम जो चाहें वह प्राप्त कर सकते हैं।

हमें विवेकानन्द जी के इस विचार को अपने जीवन में यदि अपना कर देखेंगे तो हम यह पाएंगे कि हम कभी जीवन में असफल नहीं होंगे।

उन्होंने छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि असंभव को संभव आप ही बना सकते हैं। "Arise awake stop not till the goal is reached".

जब तक आपका लक्ष्य पूर्ण नहीं होता यदि तब तक आप जागते रहेंगे तो आपके लिए कुछ भी असंभव नहीं होगा।

हमें प्रयास करना कभी नहीं छोड़ना चहिये। असंभव को संभव कर दिखाने की क्षमता युवाओं में है।

उन्होंने कहा कि आज के इस पावन दिन इस परिसर में आना और इस कार्यक्रम का हिस्सा बनना मेरा सौभाग्य है इसके लिए मैं प्रधानाचार्य जी को विशेष धन्यवाद व आभार ज्ञापित करती हूँ।

अंत में उन्होंने सभी से निवेदन करते हुए कहा कि भारतीय सनातन संस्कृति एवं परम्परा को मजबूत बनाते हुये कुम्भ स्नान करने अवश्य जाएँ।


अतिथि परिचय विद्यालय के यशस्वी प्रधानाचार्य डॉ राजेश सिंह जी ने कराया आभार ज्ञापन विद्यालय की प्रथम सहायिका श्रीमती रुक्मिणी उपाध्याय जी किया, संचालन वरिष्ठ आचार्य श्री निर्मल जी ने किया। इस अवसर पर समस्त विद्यालय परिवार उपस्थित रहा।

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