अयोध्या। कैलेंडर वर्ष के पहले दिन सुबह से ही हजारों श्रद्धालु श्रीराम लला के दर्शन की अभिलाषा में पंक्तिबद्ध होकर अपनी बारी की प्रतीक्षा में धैर्य के साथ कदम-कदम आगे बढ़ रहे थे। न उन्हें हांड़कंपाती सर्दी की परवाह थी न ही बदन चीरती शीत लहर की।
सबकी बस एक ही लालसा कि किसी तरह उन्हें आराध्य के दर्शन मिल जाएं ताकि पूरा साल श्रीराम लला के आशीर्वाद से सुख सुविधा से संपन्न हो। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र को पहली जनवरी को उमड़ने वाले श्रद्धालुओं के रेले का अंदाजा सप्ताह भर पहले से बढ़ी श्रद्धालुओं के चहल-पहल से हो चला था। इसी निमित्त दर्शन की पंक्तियां बढ़ाई गईं, दर्शन अवधि विस्तृत की गई और अन्य व्यवस्थाएं भी तदनुरूप की गई। श्रीराम लला के विराजमान होने के बाद नये कैलेण्डर वर्ष के प्रथम दिन का यह पहला अवसर था। लला की ड्योढ़ी तक पहुंचे प्रत्येक श्रद्धालु को बिना हबड़-तबड़, सुगमता से दर्शन मिल जाय इसकी व्यवस्था में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र और प्रशासन तन्मयता से लगा था और सफल भी रहा। आज आधी रात से ही पुण्य सलिला सरयू के घाटों पर भीड़ उमड़ने लगी थी। चहुंदिशि जयकारे गूंज रहे थे। श्रद्धा व आस्था के साथ सर्दी और शीतलहर की जंग जारी थी। दोनों पक्ष एक दूसरे पर भारी पड़ने के लिए होड़ लगाए थे। नगर निगम और स्वयंसेवी संस्थाओं की ओर से जलाये गये अलाव और मोटे-मोटे ऊनी कपड़े बचाव के हथियार बने थे। मौसम की निरन्तर प्रतिकूलता के बावजूद श्रद्धालुओं का उत्साह चरम पर था। श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर के आसपास का पूरा क्षेत्र श्रद्धालुओं से खचाखच भरा था। हनुमान गढ़ी, दशरथ महल, कनक भवन सभी में तिल रखने की जगह न थी। प्रमुख मन्दिरों के बाहर लंबी-लंबी कतारें थीं। किन्तु मर्यादा पुरुषोत्तम की नगरी में सब मर्यादा में थे इसलिए कहीं कोई समस्या न आई।
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