नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पुलिस आपराधिक प्रक्रिया संहिता या भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के तहत व्हाट्सएप या अन्य इलेक्ट्रॉनिक मोड के माध्यम से आरोपी व्यक्तियों को नोटिस नहीं दे सकती है। जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) को निर्देश दिया कि वे सीआरपीसी, 1973 की धारा 41ए या बीएनएसएस, 2023 की धारा 35 के तहत केवल सेवा के माध्यम से नोटिस जारी करने के लिए पुलिस को उचित निर्देश जारी करें।
पीठ ने कहा कि सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को अपने संबंधित पुलिस तंत्र को सीआरपीसी, 1973 की धारा 41-ए/बीएनएसएस, 2023 की धारा 35 के तहत केवल सीआरपीसी, 1973/बीएनएसएस के तहत निर्धारित सेवा के माध्यम से नोटिस जारी करने के लिए एक स्थायी आदेश जारी करना चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह बिल्कुल स्पष्ट कर दिया गया है कि व्हाट्सएप या अन्य इलेक्ट्रॉनिक मोड के माध्यम से नोटिस की सेवा को सीआरपीसी, 1973/बीएनएसएस, 2023 के तहत मान्यता प्राप्त और निर्धारित सेवा के तरीके के विकल्प या स्थानापन्न के रूप में नहीं माना जा सकता है।
यह निर्देश तब आया जब अदालत ने मामले में नियुक्त न्याय मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा के सुझाव को स्वीकार कर लिया। लूथरा ने ऐसे उदाहरणों को चिह्नित किया जहां सीआरपीसी, 1973 की धारा 41-ए के तहत व्हाट्सएप के माध्यम से नोटिस भेजा गया था, लेकिन आरोपी जांच अधिकारी के सामने पेश नहीं हुए।
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