बस्ती। श्री बाबा झुंगीनाथ धाम में 7 दिवसीय श्रीविष्णु महायज्ञ संत सम्मेलन में श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन व्यासपीठ से आचार्य देवर्षि त्रिपाठी ने कहा कि जो ईश्वर से सम्बन्ध जोड़ लेता है जगत उसी के पीछे दौड़ने लगता है। जिसका जीवन शुद्ध और पवित्र है उसी को भजनानन्द मिलता है। जो पवित्र जीवन जीता है उसे ही ईश्वर का ज्ञान मिलता है। सुनीति का फल धु्रव है। जो नीति के अधीन रहेगा उसे ब्रम्हानन्द प्राप्त होता है।
धु्रव तपस्या का वर्णन करते हुये महात्मा जी ने कहा कि अधिकारी शिष्य को मार्ग में ही गुरू मिल जाते हैं। परमात्मा और सद्गुरू दोनो व्यापक है। सर्व व्यापी को खोजने की नहीं, पहचानने की आवश्यकता है। नारद जी की प्रेरणा से भक्त धु्रव ने वृन्दावन में यमुना नदी के तट पर मधुवन में उपासना आरम्भ किया। भक्त धु्रव ने घोर तपस्या किया और जब देवगण ने नारायण से प्रार्थना किया कि आप धु्रव कुमार को शीघ्र दर्शन दीजिये तो भगवान ने देवो से कहा मैं धु्रव को दर्शन देने नहीं स्वयं धु्रव का दर्शन करने जा रहा हूं। धु्रव को दर्शन देते हुये भगवान ने कहा तू कुछ कल्पो के लिये राज्य का शासन कर इसके पश्चात तुझे अपने धाम में ले चलूंगा। महात्मा जी ने कहा कि परमात्मा जिसे अपना बनाता है शत्रु भी उसकी बन्दना करते हैं। राजा उत्तानपाद ने पुत्र धु्रव को गले से लगा लिया और माता सुनीति को लगा कि आज ही वह पुत्रवती हुई है क्योंकि उसका पुत्र भगवान को प्राप्त करके आया है। महात्मा सन्तोष शुक्ल ने कहा कि सत्य को समर्पित करने वाला ही सत्ता का अधिकारी है। सत्य स्वरूप परमात्मा के प्रति जब जीव का समर्पण होता है तभी कर्तव्य का ज्ञान होता है। महात्मा जी ने कलयुग के प्रवेश, धर्म के दुःखी होने, नारद के प्रयास और परमात्मा के अवतारों का विस्तार से वर्णन करते हुये कहा कि भागवत कथा के श्रवण से वासना की ग्रन्थियां टूटती है।
श्रीराम कथा में संयोजक धु्रवचन्द्र पाठक, मुख्य यजमान गुरू प्रसाद गुप्ता, उदय नरायन पाठक, सीता पाठक, जगदम्बा पाण्डेय, शीतला गोस्वामी, शिवमूरत यादव, रामसुन्दर, उदयनरायन पाठक, ओम प्रकाश पाठक, परमात्मा सिंह, अनिल पाठक, मनोज विश्वकर्मा, नरेन्द्र प्रसाद त्रिपाठी, त्रियुगी नारायण त्रिपाठी, हृदयराम गुप्ता, पिन्टू मिश्रा, बब्लू उपाध्याय, रामसेवक गौड़, उर्मिला त्रिपाठी, बीरेन्द्र ओझा, अमरजीत सिंह, शुभम पाठक, राम बहोरे , उमेश दुबे सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु श्रोता उपस्थित रहे।
No comments:
Post a Comment