बस्ती। ओम प्रकाश आर्य प्रधान आर्य समाज नई बाजार बस्ती के नेतृत्व में आर्य समाज नई बाजार बस्ती में चल रहे बालिकाओं के चरित्र निर्माण शिविर में यज्ञ करते हुए बालिकाओं ने आज अमर हुतात्मा फतेह सिंह और जोरावर सिंह के अमर बलिदान को याद किया गया और उन्हीं के समान धर्म पर दृढ़ रहने का संकल्प लिया। हर साल 26 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह दिन सिख धर्म के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी के दो छोटे साहिबजादों, जोरावर सिंह और फतेह सिंह को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। इन युवा साहिबजादों ने धर्म और मानवता के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था। इन्हीं के सम्मान और याद में वीर बाल दिवस मनाया जाता है। यज्ञ कराते हुए आचार्य योगेन्द्र मेधावी ने बताया कि मुगलों के खिलाफ जंग सिख धर्म के दसवें गुरु श्री गोबिंद सिंह जी ने साल 1699 में बैसाखी के दिन खालसा पंथ की स्थापना की थी। इनके चार बेटे अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह भी खालसा का हिस्सा थे। उस समय पंजाब में मुगलों का शासन था। साल 1705 में मुगलों ने गुरु गोबिंद सिंह जी को पकड़ने पर पूरा जोर लगा, जिसके कारण उन्हें अपने परिवार से अलग होना पड़ा। इसलिए गुरु गोबिंद सिंह जी की पत्नी माता गुजरी देवी और उनके दो छोटे पुत्र जोरावर सिंह और फतेह सिंह अपने रसोइए गंगू के साथ एक गुप्त स्थान पर छिप गईं पर लालच में आकर उनके रसोइए ने माता गुजरी और उनके पुत्रों को मुगलों को पकड़वा दिया। मुगलों ने इन खूब अत्याचार किए और उन्हें उनका धर्म परिवर्तन करने के लिए मजबूर करने लगे, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से साफ मना कर दिया। इस समय तक गुरु गोबिंद सिंह जी के दो बड़े पुत्र मुगलों के खिलाफ लड़ाई में शहीद हो चुके थे। अंत में मुगलों ने 26 दिसंबर के दिन बाबा जोरावर साहिब और बाबा फतेह साहिब को जिंदा दीवार में चुनवा दिया। उनकी सहादत की खबर सुनकर माता गुजरी ने भी अपने प्राण त्याग दिए।
वीर बाल दिवस हमें राष्ट्रीय एकता और भाईचारे का संदेश देता है। इन साहिबजादों ने सभी धर्मों के लोगों को एकजुट होने का संदेश दिया था। इससे पूर्व बालिकाओं को प्रशिक्षिका श्रद्धा द्वारा सूर्य नमस्कार, भूमि नमस्कार, लेजियम और डम्बल का विधिवत अभ्यास कराया गया। इस अवसर पर अतिथि सरदार सतिंदर पाल और रविन्द्र पाल ने अमर हुतात्माओं को श्रद्धा सुमन अर्पित किए इसके अलावा सूर्यमोहन सिंह और प्रमोद गुप्ता ने बलिदानियों के बारे में बच्चों को बताया। आदित्यनारायण गिरि शिविर संचालक ने बताया कि बच्चों को बौद्धिक कक्षा में देश प्रेम, आपसी भाईचारा और व्यक्तित्व विकास के गुण सिखाए जा रहे हैं। इसका समापन दिनांक 30 दिसंबर को दोपहर बाद होगा।
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