अयोध्या। महर्षि महेश योगी जी न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व में एक महान संत के रूप में जाने जाते हैं। उनका जन्म 12 जनवरी को मानवता के कल्याण के उद्देश्य से हुआ। उन्होंने स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती जी के सान्निध्य में शिक्षा प्राप्त की और हिमालय में दो वर्षों तक मौन व्रत का पालन किया। 1955 में उन्होंने भावातीत ध्यान की शिक्षा देना आरंभ किया। महर्षि महेश योगी जी ने 1960 के दशक में आध्यात्मिक पुनरुत्थान आंदोलन शुरू किया और इसके तहत विश्व के कई देशों की यात्रा की। उनके द्वारा विकसित तकनीक को पूरी दुनिया में अपनाया गया, जिससे लाखों लोगों ने न केवल मानसिक शांति पाई बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव भी आए। यह ध्यान विधि वैज्ञानिक रूप से भी प्रमाणित है और इसे सबसे प्रभावी ध्यान तकनीकों में माना गया है।
शिक्षा और शोध में योगदान
महर्षि महेश योगी जी ने वेदों पर आधारित शिक्षा और शोध को बढ़ावा देने के लिए कई विश्वविद्यालयों की स्थापना की। अमेरिका में महर्षि अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय इसकी एक बड़ी मिसाल है। अयोध्या में उनके सपने को साकार करते हुए महर्षि रामायण विश्वविद्यालय की स्थापना की जा रही है, जहां रामायण के पात्रों और उनके चरित्र पर गहन शोध होगा। कानपुर के बिल्हौर में महर्षि महेश योगी अंतरराष्ट्रीय कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना का उद्देश्य आधुनिक कृषि के साथ वेदों की परंपरा को जोड़ना है। इसके अलावा महर्षि वेद विज्ञान विद्यापीठ और महर्षि विद्या मंदिर जैसे संस्थानों के माध्यम से हजारों छात्रों को वैदिक शिक्षा दी जा रही है।महर्षि जी का विश्वास था कि जीवन आनंद से भरपूर है और हर व्यक्ति के अंदर अपार ज्ञान और ऊर्जा का भंडार है। उन्होंने आयुर्वेद, स्थापत्य विद्या और प्राकृतिक चिकित्सा के प्रचार-प्रसार में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। महर्षि महेश योगी जी की संस्थाएं आज श्री अजय प्रकाश श्रीवास्तव जी के नेतृत्व में लगातार प्रगति कर रही हैं। उनके कुशल नेतृत्व में महर्षि शिक्षा संस्थान, महर्षि सोलर और अन्य ट्रस्टों के माध्यम से महर्षि जी के विचारों को जन-जन तक पहुंचाया जा रहा है।
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