गोरखपुर। सरस्वती शिशु मंदिर पक्की बाग गोरखपुर में आयोजित विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र की तीन दिवसी क्षेत्रीय कार्यकारिणी बैठक के तीसरे दिन समापन सत्र को संबोधित करते हुए अध्यक्ष विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र दिव्यकांत शुक्ला ने कहा कि विद्यार्थी का समग्र विकास ही विद्या भारती का उद्देश्य हैl सिर्फ हम परीक्षा से विद्यार्थी को नहीं पहचान सकते, उसके विकास में शारीरिक, प्राणीक, मानसिक, बौद्धिक, आध्यात्मिक जब हर तरह का विकास होगा तभी वह सही मायने में विद्यार्थी कहलाएगाl हमें विद्यार्थी के मूल में जाना होगा उसके मनोभावों को समझना होगा। उसको पढ़ाना कम पढ़ना ज्यादा होगा।l उसकी रुचि क्या है, यह हमें समझना होगा। परीक्षा तो उसके जीवन का एक छोटा सा हिस्सा है। उसकी शिक्षा में संस्कार होना चाहिए। विद्यालय, विद्यार्थी, पाठ्यक्रम हमारे तीन केंद्र बिंदु हैं। अहिल्याबाई होल्कर के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहां कि हमें विद्यालयों में साहित्य, सामान्य ज्ञान, चित्र और डिबेट के माध्यम से बच्चों को जागरूक करना है।
विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के क्षेत्रीय संगठन मंत्री हेमचंद्र जी ने कहा कि शिक्षण-प्रशिक्षण, निरीक्षण सतत चलने वाली प्रक्रिया हैl आज शिक्षा के क्षेत्र में प्रतिदिन नए-नए प्रयोग हो रहे हैं इन प्रयोगों से, इन जानकारियों से हमें अपडेट होना है। हमने क्या बच्चों को दिया, क्या देना है, क्या देने की आवश्यकता हैl वह लेना क्या चाहता है, इसे हमे समझना होगा।
क्षेत्रीय मंत्री विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र डॉक्टर सौरव मालवीय ने कहा कि हम जो भी योजना बनाएं उसके केंद्र में संस्कार होना चाहिएl संस्कार्युक्त शिक्षा हमारा उद्देश्य है, हमारी पहली प्राथमिकता बच्चों को संस्कारित करना हैl साथ ही उन्होंने कहा कि आज का युग सोशल मीडिया का युग हैl हमें सोशल मीडिया में हमेशा अपडेट रहना होगा। आज नए-नए जो भी पढ़ाई के माध्यम हैं नई जानकारियां हैं सोशल मीडिया के माध्यम से हमारे तक पहुंचती हैं। हमारी शिक्षा व्यवस्था समाज के अंतिम पावदान पर बैठे हुए व्यक्ति एवं परिवार के पास पहुंचना चाहिए।
कार्यक्रम संचालन क्षेत्रीय प्रशिक्षण प्रमुख दिनेश सिंह एवं आभार ज्ञापन क्षेत्रीय सह मंत्री अनुग्रह नारायण मिश्रा ने किया। इस अवसर पर डॉक्टर राम मनोहर, योगेश, डॉक्टर रामनाथ गुप्त, राम सिंह, जियालाल सहित अन्य अतिथि उपस्थित रहे ।
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