अयोध्या। जिला चिकित्सालय में चहेतों व कमाऊ फार्मासिस्टों को ही मलाईदार पदों पर नियुक्ति मिलती है। बिरादरी वाद को प्राथमिकता मिलती है। यहाँ लम्बे समय से या तो पटल परिवर्तन हुआ ही नहीं। यदि किया भी जाता है तो मलाईदार पटल पर उन्हीं फार्मासिस्टों को स्थान दिया जाता है जो अधिक से अधिक आमदनी कर बडे़ साहब व छोटे साहब की जेब भर सकें। अभी हाल ही में हुए पटल परिवर्तन को लेकर लोग भेदभाव के आरोप लगा रहे हैं। लोगों का यह भी आरोप है कि प्रमुख अधीक्षक व चिकित्सा अधीक्षक अधिक कमाई कर उनको देने वाले व सजातीय फार्मासिस्टों को मलाईदार पटल पर बैठा रहे हैं।
जिला चिकित्सालय में वैसे तो लम्बे समय से पटल परिवर्तन नहीं किया गया। किन्तु बीच बीच में जब कोई मलाईदार पटल रिक्त होता है तो वहां चिकित्सा अधीक्षक डा विपिन कुमार वर्मा अपने चहेते फार्मासिस्ट को नियुक्त कर देते हैं। यहां कुछ फार्मासिस्ट ऐसे हैं जो वर्षों से मलाईदार पटल पर कुंडली मारकर जमें हैं जबकि कुछ ऐसे हैं जिनका कभी पटल परिवर्तन नहीं किया जाता। संजय गुप्ता को ब्लड बैंक के साथ खरीद फरोख्त व मेंटीनेंस पटल, गोरखनाथ वर्मा को इमरजेंसी, सबसे विवादित फार्मासिस्ट विजय वर्मा को इमरजेंसी प्रभारी व आयुष्मान योजना का पटल दिया गया है। जबकि फार्मासिस्ट केएस चौधरी को लम्बे समय से प्लास्टर विभाग, राम प्रकाश चौधरी व ओम प्रकाश पाण्डेय को जिला चिकित्सालय में नियुक्ति से अब तक दवा वितरण का पटल सौंपा गया है। इसी क्रम में आर के कनौजिया रिकॉर्ड रूम, बी एन आर्या औषधि गोदाम , सुनील श्रीवास्तव दवा वितरण, सर्वेश श्रीवास्तव इमरजेंसी से रेबीज टीकाकरण कक्ष, उपेंद्र मणि तिवारी को लम्बे समय से इमरजेंसी ड्यूटी व संजीव गुप्ता को शुल्क काउंट पर लगाया गया है। उनको कोई अन्य चार्ज नहीं दिया गया।
- ‘‘ऐसा क्यों हो रहा है’’ इस सम्बन्ध में क्या कहते हैं चिकित्सा अधीक्षक
चिकित्सा अधीक्षक डा विपिन कुमार वर्मा से जब जानकारी मांगी गई तो उन्होंने काफी उखड़ते हुए कहा कि अस्पताल हमें चलाना है। प्रशासनिक स्तर पर पटल परिवर्तन किया जाता है। आप पत्रकारों को हमारे निर्णय से क्या लेना देना। यदि अस्पताल में सुविधाओं में कमी आ रही हो तो बताएं। अस्पताल के कामों में आप लोगों को दखल नहीं देना चाहिए।
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