गोरखपुर। सरस्वती शिशु मंदिर पक्की बाग में संविधान दिवस कार्यक्रम में बोलते हुए आचार्य एस एन कुशवाहा ने कहा कि किसी भी देश की आत्मा वहां के संविधान में बसती है। जिस प्रकार से शरीर से आत्मा निकल दिया जाए तो वह शरीर बेकार हो जाती है। उसी प्रकार से देश से संविधान निकाल दिया जाए तो वह देश बेकार हो जाता है। उन्होंने कहा कि संविधान हमें अधिकार देता है समानता का स्वतंत्रता का एवं सम्मान से जीवन जीने का। जिनके कलम से अथक प्रयासों से विश्व का सबसे बड़ा संविधान लिखा गया है उन सभी लोगों को हृदय से नमन करते हुए कहा -
सबके सपनों का यह सम्मान। लोकतंत्र का है जो सुंदर श्रंगार, वो संविधान ही है भारत का आधार। आज की तारीख 26 नवंबर कोई आम दिन नहीं है। ये हर भारतीय के अस्तित्व का आधार संजोए है। क्योंकि यही वो दिन है जब भारत की आत्मा की रूपरेखा, यानी हमारा संविधान अस्तित्व में आया था। तारीख थी- 26 नवंबर 1949 जब भारत का संविधान सभा द्वारा अपनाया गया था। तभी तो हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसके ठीक 2 महीने बाद 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू किया गया था। तब जाकर भारत एक गणराज्य बना था।
हमारा संविधान केवल कानूनों का एक संग्रह नहीं है। ये भारत की आत्मा का प्रतिबिंब है। ये हमें अधिकार देता है, तो उसके साथ अपने कर्तव्य भी याद दिलाता है। इसने हमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता समेत दूसरी बड़ी आजादी दी है, तो उसकी हदें भी बताई हैं। विद्यालय की छात्रा बहन आस्था पाण्डेय ने भी संविधान दिवस पर अपने विचार रखें। इस अवसर पर प्रधानाचार्य डॉ राजेश सिंह सहित समस्त विद्यालय परिवार उपस्थित रहा।
No comments:
Post a Comment