<!--Can't find substitution for tag [blog.voiceofbasti.page]--> - Voice of basti

Voice of basti

सच्ची और अच्छी खबरें

Breaking

वॉयस ऑफ बस्ती में आपका स्वागत है विज्ञापन देने के लिए सम्पर्क करें 9598462331

Tuesday, November 12, 2024

अकादमिक प्रमुखों को शिक्षा मंत्री ने दिए पांच सुझाव


नई दिल्ली। केंद्र ने देशभर के प्रतिष्ठित उच्च शिक्षण संस्थानों से भारतीय भाषाओं में शिक्षण को महत्व देने के लिए कहा है। इसके अलावा सभी केंद्रीय शिक्षण संस्थानों व राज्यों के शिक्षण संस्थानों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी 2020) को लागू करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। उच्च व तकनीकी शिक्षा से जुड़े ऐसे ही कई महत्वपूर्ण विषयों पर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा दिल्ली में दो-दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की जा रही है।

इस राष्ट्रीय कार्यशाला में विभिन्न राज्यों के सचिवों के साथ-साथ उच्च एवं तकनीकी शिक्षा संस्थानों के प्रमुख शामिल हो रहे हैं। शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक यह राष्ट्रीय कार्यशाला शिक्षा जीवन जीने को आसान बनाने, प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा निर्धारित राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को हासिल करने में महत्वपूर्ण सुधार ला सकती है।

इस कार्यक्रम में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि देश को उद्योग 4.0 द्वारा प्रस्तुत अवसरों का उपयोग करके एक उत्पादक अर्थव्यवस्था बनना है। ऐसी शिक्षा अवसंरचना को तेजी से विकसित करना है, जो वैश्विक मानकों को भी पार कर जाए। शिक्षा अवसंरचना एक बहु-आयामी अवधारणा है और ये ईंट-और-मोर्टार संरचनाओं को विकसित करने से परे है।

मंगलवार को यहां विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों के अकादमिक प्रमुख और प्रशासक मौजूद रहे।

शिक्षामंत्री ने इन्हें पांच प्रमुख क्षेत्रों का सुझाव दिया। पहला है, फंडिंग के अभिनव तरीकों के जरिए सरकारी विश्वविद्यालयों को मजबूत करना। दूसरा है, उद्योग की मांग के अनुसार तथा राज्यों की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं के अनुसार पाठ्यक्रम को संरेखित करना, इसके लिए थिंक टैंक स्थापित करना। तीसरा है, वैश्विक समस्याओं के समाधान में अनुसंधान और नवाचार के लिए एक बहु-विषयक दृष्टिकोण अपनाना। चौथा है, प्रतिष्ठित केंद्रीय व राज्य संस्थानों के साथ सहयोग के जरिए प्रत्येक राज्य में अकादमिक नेतृत्व वाले विकास कार्यक्रमों को बढ़ावा देना। पांचवां है, खेल, वाद-विवाद, कविता, नाटक, प्रदर्शन कला के माध्यम से कैंपस की जीवंतता को पुनर्जीवित करना और इन गैर-शैक्षणिक क्षेत्रों को प्राथमिकता देना।

प्रधान ने भारतीय भाषाओं में शिक्षण के महत्व पर भी बल दिया। देश के छात्रों के प्रति जवाबदेही पर जोर देते हुए, उन्होंने कहा कि शिक्षा में भारत का वैश्विक नेतृत्व स्थापित करने के लिए सब लोगों को मिलकर काम करना होगा। इस कार्यशाला का उद्देश्य एनईपी 2020 को लागू करने के लिए विभिन्न दृष्टिकोणों और तरीकों का प्रसार करना है।

No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad

Responsive Ads Here

Pages