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Monday, November 18, 2024

लोक कलाओं के संरक्षण के लिए आगे आयें संस्थाएं - नितेश शर्मा


महराजगंज। संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से हेल्पलेस होप सोसायटी गोरखपुर द्वारा महराजगंज के हँसखोरी में पूर्वी लोककला व संस्कृति उत्सव (नृत्यनाटिका, लोकगायन) कार्यक्रम का आयोजन किया गया। लोक कलाकारों ने जब पूर्वी लोककला व संस्कृति उत्सव (नृत्यनाटिका, लोकगायन) कार्यक्रम को जीवन्त किया तो उपस्थित श्रोता झूम उठे। मुख्य अतिथि मुख्य अतिथि नितेश शर्मा ने लोक कलाकारों का उत्साहवर्धन किया।
इस कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन के साथ गणेश वन्दना के साथ शुरू हुआ। जिसमें डॉ. प्रतिमा यादव नें अपने टीम के साथ नृत्य किया। कलाकारों नें उत्कृष्ट नृत्य प्रस्तुत कर लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। इस मौके पर सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह और पुष्प गुच्छ भेंट किए गए और को सम्मानित किया गया।
मुख्य अतिथि नितेश शर्मा ने कहा कि हमारा देश लोक कला और संस्कृति के मामले में बहुत ही समृद्ध रहा है। हमारे लोक संगीत और नृत्य हमारी समृद्द सांस्कृतिक परम्परा के घोतक हैं। इस लिए इसके संरक्षण के लिए सभी को आगे आने की जरुरत है। उन्होंने कहा की हमारी कई लोक कलाएं विलुप्त होनें की स्थिति में पहुँच चुकी हैं ऐसे में इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन कर उनका संरक्षण किया जा सकता है।
विशिष्ठ अतिथि गन्ना समिति मुन्डेरवा के चेयरमैन सुरेन्द्र पाठक नें कहा की गीत संगीत स्वस्थ्य जीवन का हिस्सा है। इस लिए इस तरह के आयोजन होते रहना चाहिए। सुनील पाण्डेय नें कहा की लोककलाओं को स्कूलों में छात्र-छात्राओं के पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाना चाहिए।
विनोद उपाध्याय नें कहा की शास्त्रीय नृत्य शैलियाँ भी पूर्वी उत्तर प्रदेश की संस्कृति में प्रमुख हैं। कथक, भारत का शास्त्रीय नृत्य, इस क्षेत्र से आया। भक्ति नृत्य रूप कर्म उत्तर प्रदेश की जनजातियों में प्रचलित है। दादरा की उत्तम नृत्य शैली से लोग भी मंत्रमुग्ध हो गए। यह एक पारंपरिक नृत्य है, जिसमें वैवाहिक प्रेम, अंतरंग आनंद जैसे अमर प्रसंग हैं। इस नृत्य में एक अनूठी शैली है जहां मंच पर प्रदर्शन करने वाले कलाकारों के लिए गायक पार्श्वगायन करते हैं।
अध्यक्ष स्कन्द कुमार चौरसिया नें कहा कि संस्था द्वारा कल्चर फंक्सन प्रोडक्शन ग्राण्टस के तहत पूर्वी लोककला व संस्कृति उत्सव (नृत्यनाटिका ,लोकगायन) के संरक्षण एवं सर्वधन हेतु नाटक, लोकनृत्य, व लोकगीत कार्यक्रम पर कार्यशाला व मंचीय प्रस्तुतीकरण किया जा रहा है। 

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