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Friday, November 22, 2024

किसान देंगे पराली, बदले में मिलेगी गोबर की खाद

- नियंत्रित होगा वायु प्रदूषण, पराली जलाने पर भुगतेंगे लोग 

बस्ती। कृषि विभाग एफपीओ के माध्यम से किसानों को गोशालाओं में पराली देने के लिए प्रेरित कर रहा है। इसके बदले में उन्हें गोबर की खाद मुहैया कराने का भरोसा दिलाया जा रहा है ताकि उनकी फसल लहलहा सके और वायु प्रदूषण भी नियंत्रित किया जा सके।जबकि पराली जलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की चेतावनी भी जारी की जा रही है।
कृषि अपशिष्ट यानी कि पराली को वृहद रूप से जलाए जाने के कारण लगातार वायु प्रदूषण बढ़ रहा है और इसका मानव जीवन पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। इसे रोकने के लिए एफपीओ यानी कि फार्मर प्रोड्यूसर आर्गेनाइजेशन के माध्यम से किसानों से पराली प्राप्त की जाएगी और नजदीकी गौशालाओं में पहुंचाया जायेगा। बदले में किसानों को गोबर की खाद उपलब्ध कराई जाएगी। साथ ही ज्यादा से ज्यादा कृषकों को जागरूक कर उनसे गोशालाओं में पराली दान करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। उप कृषि निदेशक अशोक कुमार गौतम के अनुसार मानव जनजीवन के असामान्य हो जाने के कारण सर्वोच्च न्यायालय ने इसे संज्ञान में लिया है। जनपद में पराली (धान की पुवाल) व कृषि अपशिष्टों के जलाए जाने के कारण होने वाले पर्यावरण प्रदूषण के रोकथाम के लिए जनपद, तहसील व विकास खण्ड स्तर पर टीम का गठन किया गया है। इन टीमों के निर्देशन में निरन्तर कृषकों को यह जानकारी दी जा रही है कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेशानुसार फसल अवशेष जलाया जाना एक दंडनीय अपराध है और भारत सरकार की 6 नवंबर को जारी अधिसूचना के अनुसार पर्यावरण को हो रही क्षतिपूर्ति की वसूली के निर्देश दिए गये हैं। इसके तहत 2 एकड़ से कम क्षेत्रफल के लिए 5 हजार, 2 एकड़ से 5 एकड़ क्षेत्रफल के लिए 10 हजार व 5 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल के लिए 30 हजार रुपए तक पर्यावरण कम्पन्सेशन वसूली के निर्देश हैं। बताया कि पराली जलाये जाने की घटना पाये जाने पर संबन्धित को दण्डित करने और राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम की धारा 24 के अन्तर्गत क्षतिपूर्ति की वसूली व धारा 26 के अन्तर्गत उल्लंघन की पुनरावृत्ति होने पर सम्बन्धित के विरुद्ध अर्थदण्ड व एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी। जबकि लाभार्थी एफपीओ के माध्यम से किसान से पराली नजदीकी गौशालाओं में पहुंचा सकते हैं और बदले में गोबर की खाद लेकर अपनी उपज बढ़ा सकते हैं। 

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