- झंडा दिवस पर सात साल में 34 बीडीओ व थानेदार में महज एक ने दी सहायता राशि
- 7 दिसंबर को मनाया जाता है सशस्त्र सेना झंडा दिवस, नहीं चेत रहे जिम्मेदार
- झंडा दिवस पर सभी विभागों को दिया जाता है लक्ष्य
बस्ती। जिले के थानेदार व बीडीओ सैनिकों के सम्मान व सहायता के प्रति संवेदनशील नहीं हैं। इसका खुलासा जिला सैनिक कल्याण व पुनर्वास कार्यालय के तत्वाधान में सात दिसंबर को मनाए जाने वाले सशस्त्र सेना 'झंडा दिवस' की तैयारी में देखने को मिल रहा है। अभी तक परशुरामपुर थानेदार को छोड़ कर किसी भी थानेदार व बीडीओ ने सात साल के भीतर एक रुपये भी सहायता राशि नहीं उपलब्ध कराई है। वहीं सेंट बेसिल्स स्कूल इस मायने में मानक बन रहा है।
सशस्त्र सेना 'झंडा दिवस' के लिए डीएम की अध्यक्षता में सभी विभाग, निजी विद्यालय व गैर सरकारी संस्थान अपना योगदान देते हैं। सरकारी विभागों के लिए डीएम ने डेढ़ लाख रुपये सहायता राशि तय किया है। यह धनराशि सैनिक परिवारों व सैनिकों के हित के लिए खर्च की जाती है। इसके लिए सभी थानेदारों व बीडीओ को 5-5 हजार रुपये सहायता राशि देनी निर्धारित हुई है। जिले में कुल 18 थाने व 14 ब्लॉक संचालित हो रहे हैं। इस प्रकार 2017 में जहां महज परशुरामपुर के थानाध्यक्ष ने 5 हजार रुपये जमा किया था, वहीं 2018 से लेकर अब तक किसी ने भी पहल नहीं की है। दूसरी तरफ सेंट बेसिल्स स्कूल ने पिछले साल 30 तो इस साल 35 हजार रुपये एडवांस जमा कर दिए हैं। यही नहीं विद्यालयों व अन्य संस्थाओं ने तकरीबन दो लाख रुपए से अधिक का योगदान कर दिया है लेकिन किसी भी थानेदार व बीडीओ का नाम सूची में नहीं आ पाया है। जिला सैनिक कल्याण व पुनर्वास अधिकारी कर्नल देवेंद्र गोहानी ने बताया कि सभी थानों व ब्लॉक कार्यालयों को पत्र जारी किया जा चुका है।
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