गोरखपुर। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 की बलिदानी नायिका महारानी लक्ष्मी बाई के जन्मदिवस के अवसर पर गोरखपुर के नगर निगम पार्क में स्थित महारानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति पर विश्व शांति मिशन के अध्यक्ष अरुण कुमार श्रीवास्तव ,मकबूल अहमद मंसूरी, अत्ताउल्लाह शाही एवं तमाम अन्य लोगों द्वारा माल्यार्पण करके उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए याद किया गया। इस अवसर पर अरुण कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि आज देश एक नाजुक दौर से गुजर रहा है, देश में बेरोजगारी चरम सीमा पर है ,देश के युवा धर्म व जाति के चक्कर में राजनीतिज्ञों द्वारा बहकाए जाकर उलझे हुए हैं। ऐसे समय में युवाओं को देश के प्रति बलिदान होने के लिए रानी लक्ष्मीबाई से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है और देश में बढ़ती हुई वह वैमनष्यता को हटाकर आपसी प्रेम एवं भाईचारे से देश को उन्नति की ओर ले जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कुछ तथाकथित संतों और राजनीतिज्ञों द्वारा बटेंगे तो कटेंगे का नारा दिया जा रहा है जबकि वास्तविक में नारा यह होना चाहिए की जाति धर्म को छोड़ो प्रेम का रिश्ता जोड़ो या आप मेहनत करेंगे तो आगे बढ़ेंगे, प्रेम से एक साथ जुड़ेंगे तो उन्नति के आसमान में उड़ेंगे लेकिन दुर्भाग्य है की सत्ता की लालच में सबको उलझा कर रख दिया गया है। इसी का शिकार होकर के रानी को अपने प्राणों की आहुति देनी पडी़ थी क्योंकि अगर गद्दार नहीं हुए रहते तो रानी लक्ष्मी बाई को धोखे से शहीद नहीं किया जा सकता था। ऐसी रणबांकुरी रानी लक्ष्मीबाई को शत-शत नमन है। इस अवसर पर इमामुद्दीन अंसारी, एजाज अहमद,एमाज, अत्ताउल्लाह शाही, मकबूल अहमद मंसूरी, नगीना लाल प्रजापति, मानवेंद्र प्रजापति, श्रीराम पांडे, कु श्रुति एवं तमाम लोग उपस्थित थे।
गोरखपुर। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 की बलिदानी नायिका महारानी लक्ष्मी बाई के जन्मदिवस के अवसर पर गोरखपुर के नगर निगम पार्क में स्थित महारानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति पर विश्व शांति मिशन के अध्यक्ष अरुण कुमार श्रीवास्तव ,मकबूल अहमद मंसूरी, अत्ताउल्लाह शाही एवं तमाम अन्य लोगों द्वारा माल्यार्पण करके उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए याद किया गया। इस अवसर पर अरुण कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि आज देश एक नाजुक दौर से गुजर रहा है, देश में बेरोजगारी चरम सीमा पर है ,देश के युवा धर्म व जाति के चक्कर में राजनीतिज्ञों द्वारा बहकाए जाकर उलझे हुए हैं। ऐसे समय में युवाओं को देश के प्रति बलिदान होने के लिए रानी लक्ष्मीबाई से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है और देश में बढ़ती हुई वह वैमनष्यता को हटाकर आपसी प्रेम एवं भाईचारे से देश को उन्नति की ओर ले जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कुछ तथाकथित संतों और राजनीतिज्ञों द्वारा बटेंगे तो कटेंगे का नारा दिया जा रहा है जबकि वास्तविक में नारा यह होना चाहिए की जाति धर्म को छोड़ो प्रेम का रिश्ता जोड़ो या आप मेहनत करेंगे तो आगे बढ़ेंगे, प्रेम से एक साथ जुड़ेंगे तो उन्नति के आसमान में उड़ेंगे लेकिन दुर्भाग्य है की सत्ता की लालच में सबको उलझा कर रख दिया गया है। इसी का शिकार होकर के रानी को अपने प्राणों की आहुति देनी पडी़ थी क्योंकि अगर गद्दार नहीं हुए रहते तो रानी लक्ष्मी बाई को धोखे से शहीद नहीं किया जा सकता था। ऐसी रणबांकुरी रानी लक्ष्मीबाई को शत-शत नमन है। इस अवसर पर इमामुद्दीन अंसारी, एजाज अहमद,एमाज, अत्ताउल्लाह शाही, मकबूल अहमद मंसूरी, नगीना लाल प्रजापति, मानवेंद्र प्रजापति, श्रीराम पांडे, कु श्रुति एवं तमाम लोग उपस्थित थे।
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