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Saturday, October 26, 2024

संवादी गोरखपुर कार्यक्रम को सीएम योगी ने सराहा, बोले- दृष्टि साकारात्‍मक तो परिणाम भी आते हैं साकारात्‍मक

गोरखपुर। योगिराज बाबा गंभीरनाथ प्रेक्षागृह में अभिव्यक्ति के उत्सव यानी जागरण संवादी के मंच पर शनिवार को सीएम योगी पहुंचे। इस दौरान उन्‍होंने 'हिंदी और राष्ट्रवाद' विषय पर संबोधन दिया। उन्‍होंने कहा कि जागरण संवादी गोरखपुर का प्रयास सराहनीय है। संवादी कार्यक्रम से यह‍ पता चलता है कि जब दृष्टि साकरात्‍मक हो तो उसके परिणाम भी साकारात्‍मक आएगा।

उन्‍होंने कहा कि भारत में मीडिया चतुर्थ स्तंभ के रूप में जाना जाता है। आजादी के समय इसके अलग-अलग नाम थे। इनका नाम भी स्‍वाधीन, स्‍वराज, जनचेतना की तरह प्रेरणादायी था। उस भी यह मीडिया जनता के बीच में समाज से जुड़े मुद्दों को शासन के संज्ञान में लाने और जनता की बातों को शासन तक पहुंचाने में मीडिया की अपनी भूमिका रही है और आगे भी स्वरूप बदल सकते हैं।
कहा कि मीडिया अपना काम स्वतंत्र रूप से आगे करता रहेगा। आजादी के समय पत्राचार के माध्यम से लोग अपनी बातों को कहते थे, इन्हीं स्वरूप को आगे बढ़ाया गया और सूचना का प्रचार प्रसार होने लगा। लोक संवाद किसी न किसी रूप में करते रहे, देश की आजादी के आंदोलन में पत्र पत्रिकाओं का एक स्वरूप देखने को मिलता था।
लोक समाचार पत्रों और पत्रिकाओं द्वारा राष्ट्रीय आंदोलन का नेतृत्व देने का काम करते थे। पत्राचार का नाम भी ऐसा होता था जिसे सुनकर लोगों के अंदर देशभक्ति की भावना जागरूक होती थी। किसी का नाम राष्ट्र धर्म, धर्म योग होता था। इन नाम को सुनकर लोगों की चेतना जागरूक हो जाती थी। लोग कविताएं कहते थे जिसे सुनकर आदमी अंदर से झकझोर जाता था जिससे समाज को प्रेरणा मिलती थी।
सीएम ने कहा कि हिंदी की बात आएगी तो हिंदी भारत की एक सबसे बड़े समूह में बोले जाने वाली भाषा है इसे उत्तर से दक्षिण तक पूर्व से पश्चिम तक एक बड़े समूह को एक माध्यम से जोड़ती है। इन्हें अंतःकरण से कही गई भाषा भी कहा जाता है वह भाषा जिसे लोग अपनी अभिव्यक्ति को बयां करते हैं।
भारत की आजादी में हिंदी भाषा की भूमिका बहुत बड़ी रही है। यही वह भाषा है जो लोगों को एक दूसरे में जोड़कर राखी रही। हो सकता है कि लिपि हमारे देव नागरिक भाषा रही हो, जिसे अलग-अलग नाम दिए गए हो। देश में कोई एक भाषा है जो सशक्त माध्यम से शक्ति बनी है तो वह केवल हिंदी है जो देश के अंदर से लेकर गांव तक लोगों से संवाद के रूप में जोड़ सकती है।
हिंदी का जिक्र करते हुए सीएम योगी ने राम प्रसाद बिस्मिल, झांसी की रानी, भारतेंदु हरिश्चंद्र के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद एक राजभाषा के रूप में हिंदी को सम्मान दिया गया। आज भी यह सशक्त होने का सबसे बड़ा माध्यम है, आप देखते होंगे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संवाद की इस भाषा का सबसे ज्यादा उपयोग करते हैं। वह न केवल देश के अंदर बल्कि बाहर भी और तो और हर राज्य के अंदर की लोकल बोली के साथ हिंदी भाषा को आगे बढ़ने का काम करते हैं।
उन्होंने जी-20 का जिक्र करते हुए बताया कि विदेश से आने वाले लोग भी बताते हैं कि उनके देश में बहुत ज्यादा हिंदी भाषा का प्रयोग किया जाता है। लोग हिंदी बोलते हैं। अब यह बातें सुनकर कितना लोगों को गर्व हो रहा होगा जो हमारे महान विभूतियां रही होंगी, जिन्होंने हिंदी भाषा का प्रयोग किया होगा, जिस देश पर ब्रिटिश सरकार इतना ज्यादा राज की हो, वहां पर हमारे देश की भाषा हिंदी बोली जा रही है।
कहा कि पीएम मोदी का एक ही लक्ष्य है कि भारत एक विकसित देश बने और उसका आधार क्या होगा इस बात पर मंथन करते हुए स्वर का लोकल को प्रमुखता से आगे बढ़ना होगा। इसे उत्तर प्रदेश में खास तौर पर प्रयोग किया गया।
उन्होंने कहा कि 2018 में उत्तर प्रदेश में एक योजना बनाई गई की सरकार उन जिलों को और सशक्त बनाएगी। जहां का कोई भी एक सामान फेमस हो, जिसका नाम वन जिला वन प्रोडक्ट का नाम दिया गया।
सीएम ने कहा कि उन्होंने पहले रिपोर्ट मंगाई जिसमें 75 जिलों में से 57 ऐसे जनपद थे जिनके पास अपना स्थानीय उत्पादन था। उन्होंने 18 जनपदों के लिए लोगों को काम पर लगाया कि वहां पर एक ऐसे प्रोडक्ट को तैयार करने के लिए कहा गया कि जिससे लोगों को आगे के लिए रोजगार का अवसर मिले और उससे उनका नाम हो। वन जिला वन प्रोडक्ट के लिए पैकेजिंग के लिए मैनेजमेंट बनाया गया। इसके बाद उसका प्रचार प्रसार किया जाने लगा। इन सारे सामानों को मार्केट के साथ जोड़ा गया। एग्जिबिशन लगाया गया। उसे लाने और ले जाने की व्यवस्था भी की गई। अब इसका परिणाम यह है कि उत्‍तर प्रदेश के सामान देश ही नहीं विदेशों में दिखने लगे हैं।
उन्‍होंने कहा कि अभी लोग डिजिटल मीडिया की तरफ जा चुके हैं। आज का युवा बहुत कम टेलिविजन देख रहा है। उसके बाद स्वयं का स्माटफोन हो चुका है और मीडिया में भी यह बहुत तेजी के साथ परिवर्तन के रूप में आया है। हर एक मीडिया ग्रुप ने अपना एक डिजिटल रूप लॉच कर दिया है। इसमें भाषा एक चुनौती बन रही है। पहले लोगों को भाषा सिखाने के लिए अखबार पढ़ने के लिए प्ररित किया जाता था। आकाशवाणी पर समाचार सुनाया जाता था। अब चीजे बदल चुकी हैं।

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