बस्ती। कबीर साहित्य सेवा संस्थान द्वारा गुरूवार को कलेक्ट्रेट परिसर में अध्यक्ष साईमन फारूकी के संयोजन में सर सैय्यद डे उत्साह के साथ मनाया गया।
मुख्य अतिथि वरिष्ठ चिकित्सक डा. वी.के. वर्मा ने कहा कि सर सैयद अहमद खान 17 अक्टूबर 1817 को दिल्ली के एक प्रतिष्ठित सादात (सैयद) परिवार में पैदा हुए। बचपन से ही वे बहुत प्रतिभाशाली और गंभीर स्वभाव के थे, उम्र के साथ धीरे-धीरे उन्होंने एक महान विद्वान एवं समाज सेवक के रूप में ख्याति प्राप्त की। उन्नीसवीं शताब्दी के अंत तक सर सैयद अहमद खान सबसे करिश्माई और दूरदर्शी व्यक्ति के रूप में उभरे और विश्व पटल पर उनकी एक अलग पहचान बन गयी।
कहा कि उन्होंने भारतीय समाज विशेष रूप से भारतीय मुस्लिम समुदाय के लिए आधुनिक शिक्षा की आवश्यकता को महसूस किया. सर सैयद अहमद खान यह बात अच्छी तरह जान चुके थे कि सशक्तीकरण केवल ज्ञान, जागरूकता, उच्च चरित्र, अच्छी संस्कृति और सामाजिक पहचान से ही आ सकती है। ज्ञान के क्षेत्र में उनका योगदान सदैव याद किया जायेगा।
डा. वाहिद अली सिद्दीकी ने सर सैयद अहमद खान के योगदान पर चर्चा करते हुये कहा कि उन्होने पारंपरिक शिक्षा के स्थान पर आधुनिक ज्ञान हासिल करने के लिए प्रेरित किया, क्योंकि वह जानते थे कि आधुनिक शिक्षा के बिना प्रगति संभव नहीं है. सर सैयद अहमद खान अपने आलोचकों चाहे वे मुसलमान हों या हिंदू के द्वारा उठाये गए सवालों का जवाब नहीं दिया करते, केवल अपने काम पर ध्यान केंद्रित रखते। सर सैयद अहमद खान ने सदा ही यह बात अपने भाषणों में कही थी कि, ‘हिंदू और मुसलमान भारत की दो आंखें हैं, अगर इनमें से एक आंख थोड़ी सी भी खराब हो गयी तो इसकी सुंदरता जाती रहेगी।
अध्यक्षता करते हुये साहित्यकार फूलचन्द चौधरी ने कहा कि सर सैयद अहमद खान को एक युग पुरुष के रूप में याद किया जाता है और हिंदू तथा मुसलमान दोनों ही उनका आदर करते हैं। आभार ज्ञापन आयोजक साईमन फारूकी ने किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से कृष्ण चन्द्र पाण्डेय, ऋतुराज, एस.के. यादव, सिराज अहमद इदरीसी, अशद बस्तवी, दीपक सिंह प्रेमी नीरज वर्मा, दीनानाथ यादव, दीन बन्धु उपाध्याय आदि शामिल रहे।
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