गोरखपुर। सरस्वती शिशु मंदिर पक्की बाग गोरखपुर में हर्षउल्लाश पूर्वक विजया दशमी का पर्व मनाया गया। विद्यालय के आचार्य सदानंद पाण्डेय ने अपने सारगर्विक उद्बोधन में कहा कि यह पर्व सत्य पर असत्य का, अच्छाई पर बुराई का प्रतीक है। हमें इस दिन अपने अंदर छिपी हुई बुराइयों को जलाना चाहिए। जब प्राणी अपने नौ द्वारों को बंद कर दशवे द्वार पर पहुंचता है तो उसे भगवान के साक्षात दर्शन प्राप्त होते हैं और वह दशहरा मनाते हैं। इस दिन ज्योतिषी के अनुसार सर्वाधिक सिद्धि योग होने के कारण लोग फसलों की बुवाई शुरू करते हैं, गृह प्रवेश करते हैं, नए-नए व्यापार की शुरुआत करते हैं। इस दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। इसलिए सभी लोग देवी की आराधना करते हैं और उनसे शक्ति प्राप्त करते हैं। रावण का वध भी श्री रामचंद्र जी ने इसी दिन किया था। इसलिए हर व्यक्ति को इससे प्रेरणा लेनी चाहिए कि अपने एक बुरी आदत का त्याग कर अच्छी आदत का विकास करना चाहिए लिए सविजय का प्रतीक त्यौहार है। दशहरा, सनातन धर्म में आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है सभगवान श्रीराम की विशेष पूजा की जाती है। दशहरा पर रावण, उसके भाई कुंभकरण और पुत्र मेघनाद के पुतलों का दहन किया जाता है। दशहरा, हमें सिखाता है कि बुराई चाहे कितनी भी शक्तिशाली हो, अंत में सत्य और धर्म की ही जीत होती है। दशहरा, धैर्य, करुणा, त्याग और कर्तव्यनिष्ठा का महत्व सिखाता है। दशहरा, भारत के विभिन्न प्रदेशों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है।
इस शुभ अवसर पर कन्या पूजन का कार्यक्रम भी संपन्न हुआ। प्रथम सहायक रुक्मिणी उपाध्याय, सुधा त्रिपाठी, विद्यालय की छात्रा बहन अर्चिता आर्या द्वारा गीत प्रस्तुत किया गया। प्रधानाचार्य डॉक्टर राजेश सिंह ने सभी लोगों को दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं दी, तत्पश्चात विद्यालय के कोषाध्यक्ष महेश गर्ग सहित सभी लोगों ने मां दुर्गा की आरती की। इस अवसर पर समस्त विद्यालय परिवार उपस्थित रहा।
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