गोरखपुर। सरस्वती शिशु मंदिर पक्कीबाग में महर्षि वाल्मीकि जयंती पर बोलती हुई विद्यालय की वरिष्ठ आचार्या सुधा त्रिपाठी ने कहा कि भारत संत महात्माओं का देश रहा है जिन्होंने समय - समय पर देश को एक नई दशा एवं दिशा देने का कार्य किया। उसी में से एक रहे हैं महर्षि वाल्मीकि जिनका जीवन हम लोगों के लिए अनुकरणीय है। रत्नाकर एक डाकू थे जो परिवार का पालन-पोषण करने के लिए लोगों को लूटते थे। एक दिन नारद मुनि जंगल से गुज़र रहे थे और रत्नाकर ने उन्हें पकड़ लिया। नारद मुनि ने रत्नाकर से पूछा कि वह जो पाप कर रहा है, उसके भागीदार उसके परिवार के लोग भी बनेंगे या नहीं रत्नाकर को विश्वास था कि परिवार के लोग भी उसके पाप में शामिल होंगे। लेकिन जब सभी ने कहा कि नहीं, तो रत्नाकर का संसार से मोह भंग हो गया। रत्नाकर ने नारद मुनि से मुक्ति का उपाय पूछा, नारद मुनि ने रत्नाकर को राम नाम का मंत्र दिया। रत्नाकर ने राम नाम जपते-जपते मरा-मरा का जाप करने लगे। धीरे-धीरे यह राम-राम में बदल गया। लगातार राम नाम के जप से रत्नाकर के शरीर पर दीमकों ने बांबी बना ली, दीमक के घर को वाल्मीक कहते हैं। इसलिए वे भी वाल्मीकि कहलाने लगे। ब्रह्मा जी ने रत्नाकर को ज्ञान का वरदान दिया और रामायण की रचना करने की प्रेरणा मिली!
प्रधानाचार्य डॉक्टर राजेश सिंह ने वाल्मीकि जयंती पर सभी लोगों को शुभकामनाएं देते हुए कहा की संगत से गुण होत हैं संगत से गुण जात अर्थात जैसे लोगों का साथ होगा उसी प्रकार से हमारा विकास होगा ।
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