बस्ती। ह्यूमैनिटी एक्शन ट्रस्ट,जनपद बस्ती द्वारा बनकटी ब्लाक के थरौली गाँव में पूर्वी लोककला व संस्कृति उत्सव (नृत्यनाटिका, लोकगायन) कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके लोक कलाकारों ने जब पूर्वी लोककला व संस्कृति उत्सव (नृत्यनाटिका, लोकगायन) कार्यक्रम को जीवन्त किया तो उपस्थित श्रोता झूम उठे। मुख्य अतिथि नितेश शर्मा ने लोक कलाकारों का उत्साहवर्धन किया।
मुख्य अतिथि नितेश शर्मा ने कहा कि हमारा देश लोक कला और संस्कृति के मामले में बहुत ही समृद्ध रहा है। हमारे लोक संगीत और नृत्य हमारी समृद्द सांस्कृतिक परम्परा के घोतक हैं। इस लिए इसके संरक्षण के लिए सभी को आगे आने की जरुरत है। उन्होंने कहा की हमारी कई लोक कलाएं विलुप्त होनें की स्थिति में पहुँच चुकी हैं ऐसे में इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन कर उनका संरक्षण किया जा सकता है।
विशिष्ठ अतिथि गोविन्द मिश्र नें कहा की गीत संगीत स्वस्थ्य जीवन का हिस्सा है। इस लिए इस तरह के आयोजन होते रहना चाहिए। पीवी इन्टर कालेज के प्रबंधक राहुल सिंह नें कहा की लोककलाओं को स्कूलों में छात्र-छात्राओं के पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाना चाहिए।
रिंकू दूबे नें कहा की शास्त्रीय नृत्य शैलियाँ भी पूर्वी उत्तर प्रदेश की संस्कृति में प्रमुख हैं। कथक, भारत का शास्त्रीय नृत्य, इस क्षेत्र से आया। भक्ति नृत्य रूप कर्म उत्तर प्रदेश की जनजातियों में प्रचलित है। दादरा की उत्तम नृत्य शैली से लोग भी मंत्रमुग्ध हो गए। यह एक पारंपरिक नृत्य है, जिसमें वैवाहिक प्रेम, अंतरंग आनंद जैसे अमर प्रसंग हैं। इस नृत्य में एक अनूठी शैली है जहां मंच पर प्रदर्शन करने वाले कलाकारों के लिए गायक पार्श्वगायन करते हैं।
नागेन्द्र शुक्ल नें कहा कि संस्था द्वारा कल्चर फंक्सन प्रोडक्शन ग्राण्टस के तहत पूर्वी लोककला व संस्कृति उत्सव (नृत्यनाटिका ,लोकगायन) के संरक्षण एवं सर्वधन हेतु नाटक, लोकनृत्य, व लोकगीत कार्यक्रम पर कार्यशाला व मंचीय प्रस्तुतीकरण किया जा रहा है। संस्था पूर्वी लोककला व संस्कृति उत्सव (नृत्यनाटिका ,लोकगायन) के प्रचार प्रसार एवं संरक्षण के लिए प्रतिवर्ष पूर्वी लोककला व संस्कृति उत्सव (नृत्यनाटिका,लोकगायन) पर सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत इसका आयोजन किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि पूर्वी लोककला व संस्कृति उत्सव के तहत भोजपुरी-अवधी मे अभी तक जितना कुछ भी लिखा गया है उसमे समीक्षा की कमी इसी कमी के चलते नए लेखको को दिशा निर्देश नही मिल रहा है। इसमे पुर्नरावृत्ति अधिक है। नए दौर मे उसमे कथा कहानियो का सृजन चाहिए जो जमीन से तो जुडी हो पर उनमे नवीनता भी हो। इस मौके पर देवेन्द्र पाण्डेय, सचिन्द्र, नीरू, रश्मि आरती सहित अनेकों लोग मौजूद रहे।
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