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Saturday, September 14, 2024

सभी भाषायें महत्वपूर्ण हैं किन्तु मातृ भाषा का अपना विशेष सुख - डॉ. रघुवंशमणि त्रिपाठी

- डॉ. ताराचन्द तन्हा कृत ‘ लट्ठमेय जयते’ और पत्नी चालीसा का हुआ लोकार्पण

बस्ती। शनिवार को हिन्दी दिवस के अवसर पर पूर्वान्चल साहित्यिक एवं सांस्कृतिक विकास संस्थान अध्यक्ष महेन्द्र तिवारी के संयोजन में प्रेस क्लब सभागार में संगोष्ठी, काव्य गोष्ठी और सारस्वत सम्मान समारोह का आयोजन किया गया।
मुख्य अतिथि डॉ. रघुवंशमणि त्रिपाठी ने कहा कि सभी भाषायें महत्वपूर्ण हैं किन्तु मातृ भाषा का अपना विशेष सुख है। हिन्दी दुनियां में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है और वह अपने कमेरा वर्ग की ताकत से लगातार प्रतिष्ठित हो रही है। हिन्दी में अब ज्ञान विज्ञान की पुस्तकें भी लगाार आ रही है, यह शुभ संकेत है। कार्यक्रम में हास्य के वरिष्ठ कवि डॉ. ताराचन्द तन्हा कृत ‘ लट्ठमेय जयते’ और 'पत्नी चालीसा' का लोकार्पण किया गया।  डॉ. ताराचन्द तन्हा ने दोनों पुस्तकों से कुछ रचनायें सुनाकर वाहवाही लूटी।
अध्यक्षता करते हुये वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. रामकृष्ण जगमग ने कहा कि  हिन्दी अब समूचे विश्व में प्रतिष्ठित हो रही है।  उनकी पंक्तियां ‘धूमिल हो सकती नहीं हिन्दी की तस्वीर, हिन्दी ने हमको दिया, तुलसी, सूर, कबीर’ को सराहना मिली। डा. जगमग ने कहा कि हिन्दी की छाप अधिकांश भारत की क्षेत्रीय भाषाओं पर है। भाषा लोगों को जोड़ती है।
संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुये वरिष्ठ पत्रकार दिनेश सांस्कृत्यायन ने कहा कि हिन्दी को इण्टर मीडिएट तक अनिवार्य कर दिया जाना चाहिये। उन्होने ज्ञान, विज्ञान से हिन्दी को समृद्ध करने पर जोर दिया।  संगोष्ठी को डॉ. सत्यव्रत, आलोक त्रिपाठी,  डा. त्रिभुवन प्रसाद मिश्र, मजहर आजाद, प्रकाश चन्द्र गुप्ता, प्रदीप चन्द्र पाण्डेय, जयन्त कुमार मिश्र, नगर पालिका अध्यक्ष प्रतिनिधि अंकुर वर्मा, भावेष पाण्डेय,  संध्या दीक्षित आदि ने सम्बोधित करते हुये हिन्दी के विकास यात्रा के विविध पक्षों पर विस्तार से प्रकाश डाला।
संगोष्ठी के क्रम में  विनोद कुमार उपाध्याय हर्षित, अर्चना श्रीवास्तव,   रहमान अली ‘रहमान’, डॉ. अजीत श्रीवास्तव ‘राज’  आदि ने कविता और शायरी के माध्यम से हिन्दी दिवस के महत्ता पर प्रकाश डाला।
इस अवसर पर पूर्वान्चल साहित्यिक एवं सांस्कृतिक विकास संस्थान द्वारा  डा. रघुवंश मणि त्रिपाठी, डॉ. ताराचन्द तन्हा, डॉ. रामकृष्ण लाल ‘जगमग’, विनोद उपाध्याय हर्षित, डा. वी.के. वर्मा,  राघवेन्द्र मिश्र, अजीत श्रीवास्तव ‘राज’ डा. ज्ञानेन्द्र पाण्डेय सरल, हरीराम, वृजेश कुमार द्विवेदी, बब्बन प्रसाद पाण्डेय, हरीश दरवेश, फरोजा मसूरी,  आदि को उनके योगदान के लिये अंग वस्त्र, स्मृति चिन्ह, सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया। आयोजक महेन्द्र तिवारी ने आगन्तुकों के प्रति आभार व्यक्त करते हुये संगोष्ठी की उपादेयता पर प्रकाश डाला। 

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