- कलेक्ट्रेट परिसर में तहसील भवन के करीब बने मुख्तारखाने का नहीं हो सका जीर्णोद्धार
- इस पुराने भवन में था अंग्रेजों का अस्तबल, फिर बना मुख्तारखाना, अब बन गया वकीलों का ठिकाना
बस्ती। कलेक्ट्रेट परिसर में तहसील भवन के पास स्थित मुख्तारखाना का भवन 159 साल की उम्र पार कर चुका है, बावजूद इसके जीर्णोद्धार के लिए प्रशासन ने अभी तक कोई पहल नहीं किया है। इससे यहां अपना चैंबर बना चुके वकीलों व वादकारियों के लिए यह भवन कभी भी खतरा बन सकता है।
कचहरी परिसर स्थित मुख्तारखाना के नाम से मशहूर यह भवन 1865 में अंग्रेजी हुकूमत ने बनवाया था। यहां अंग्रेज अफसरों व कर्मचारियों के लिए घोड़ों को रखा जाता था ताकि वह क्षेत्र में भ्रमण कर प्रशासनिक निगरानी व कार्रवाई कर सकें। देश की आजादी के बाद यह मुख्तारखाना के नाम से मशहूर हो गया। जहां वकील व मुख्तार अपना कामकाज निपटाने लगे। अब यह जनपद बार एसोसिएशन का प्रमुख अंग बन चुका है। यहां तकरीबन ढाई सौ वकीलों ने अपना चैंबर बनाया है। जहां दिन भर वकीलों व मुअक्किलों की भीड़ जमा रहती है। 159 साल पहले निर्मित इस भवन की छत जहां जीर्ण हो चुकी है, वहीं इसकी दीवारें भी बेदम हो चुकी हैं। बाहर से तो इसकी रंगाई पुताई हो जाती है लेकिन मजबूती के नाम यहां कुछ भी नहीं किया गया। जिसके कारण यह भवन कभी भी जानमाल का खतरा बन सकता है। अधिवक्ता अभिषेक श्रीवास्तव, जवाहर लाल, प्रेमकुमार, सुशील पांडेय व विवेकानंद ने बताया कि बरसात में यहां रहना मुश्किल हो जाता है। अगर इस भवन का नवीनीकरण नहीं किया गया तो यह कभी भी जानलेवा बन सकता है।
- भवन के नवीनीकरण के लिए होगा प्रबंध
मुख्तारखाने के भवन का परीक्षण करवाया जाएगा और आवश्यकतानुसार प्रस्ताव तैयार कर उच्चाधिकारियों को भेजा जाएगा। ताकि वकीलों व मुअक्किलों के लिए बेहतर इंतजाम किया जा सके।
- शत्रुहन पाठक, एसडीएम सदर, बस्ती
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