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Sunday, August 11, 2024

पूर्वांचल का पहला मेडिकल कॉलेज बना BRD, IUI सेंटर बना निःसंतान दंपतियों के लिए वरदान

गोरखपुर। संतान सुख से वंचित दंपतियों को अब बीआरडी मेडिकल कॉलेज में निशुल्क आईयूआई (इंट्रा यूटराइन इनसेमिनेशन) की सुविधा मिलेगी। मेडिकल कॉलेज के स्त्री एवं प्रसूति विभाग में शनिवार को इसके लिए विशेष केंद्र का शुभारंभ किया गया। इसी के साथ पूर्वांचल में इस सुविधा वाला बीआरडी पहला सरकारी अस्पताल हो गया है। निजी सेंटरों में इस इलाज पर 50 से 60 हजार रुपये तक खर्च होते हैं।

सेंटर का उद्घाटन प्राचार्य डॉ. रामकुमार जायसवाल एवं बांझपन रोग विशेषज्ञ डॉ. सोम सिंह ने किया। डॉ. सोम सिंह ने बताया कि देश में 20 से 25 फीसदी दंपति संतान सुख से वंचित हैं। इनमें से करीब 40 फीसदी दंपति में बच्चा न होने की वजह पुरुष होते हैं। ऐसे मामलों में आईयूआई विधि सबसे कारगर है।
इसमें ऐसे पुरुषों का चयन किया जाता है, जिनमें स्पर्म काउंट कम हो। कुछ दवाओं से स्पर्म काउंट को बेहतर बनाया जाता है। आईयूआई में पुरुष के स्पर्म को वॉश कर सशक्त स्पर्म को निकाला जाता है। इस स्पर्म को बच्चेदानी में प्रत्यारोपित किया जाता है। यह एक सुरक्षित गर्भधारण की विधि है।
खास बात यह है कि इसका सक्सेस रेट भी 20 प्रतिशत तक है। यह किफायती तकनीक है। इसे तीन से चार बार तक प्रयास किया जा सकता है। जिन दंपतियों के विवाह के अधिकतम 6 वर्ष हुए हों और महिला की उम्र 35 वर्ष से कम हो तो उसमें सक्सेस रेट अधिक होता है।
प्राचार्य डॉ. रामकुमार ने बताया कि भाग दौड़ भरी जिंदगी और देर से हो रही शादी के कारण बांझपन के मामले बढ़ रहे हैं। मेडिकल कॉलेज में ऐसे दंपति को पूरी तरह इलाज मुहैया कराने के लिए इस केंद्र की शुरुआत की गई है। भविष्य में इसका और भी विस्तार होना है।
इस दौरान स्त्री एवं प्रसूति रोग विभागाध्यक्ष डॉ. रूमा सरकार, डॉ. शिखा मुखीजा, वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. रीना श्रीवास्तव, डॉ. राधा जीना, डॉ. नीला राय शर्मा, डॉ. वाणी आदित्य, डॉ. रीता सिंह, डॉ. सुधीर गुप्ता, डॉ. खुतैजा बानो आदि मौजूद रहीं।
- पहले दिन 25 दंपत्तियों को किया गया आईयूआई
उद्घाटन सत्र के बाद पहले दिन ही प्रायोगिक सत्र भी आयोजित किया गया। प्रतिभागी जूनियर डॉक्टरों को सीमन एनालिसिस, स्पर्म प्रीपरेशन, अल्ट्रासाउंड आदि की जानकारी दी गई। स्त्री एवं प्रसूति रोग विभागाध्यक्ष डॉ. रूमा सरकार ने बताया कि पहले दिन 25 दंपत्तियों का सफल आईयूआई किया गया। मेडिकल कॉलेज में यह सुविधा पूरी तरह से निरूशुल्क है, जबकि निजी अस्पतालों में इसका खर्च काफी महंगा होता है।

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