गोरखपुर। कार्डियक अरेस्ट (हृदय की धड़कन रुकना) से हर साल करीब 20 लाख लोगों की मौत होती है। इसमें से 40 फीसदी लोगों की जान कार्डियक पल्मोनरी रिससिटेशन(सीपीआर) के जरिए बचाई जा सकती है। हालांकि, जानकारी के अभाव में अभी यह आंकड़ा सिर्फ छह प्रतिशत का है। इसलिए अब हर डॉक्टर व मेडिकल स्टॉफ ही नहीं आम आदमी को भी इसके बारे में जानना चाहिए।
यह कहना है ब्रिटेन के इमरजेंसी मेडिसिन एक्सपर्ट डॉ. जोगेंद्र सिंह का। वह बीआरडी मेडिकल कॉलेज में रेजिडेंट चिकित्सकों को बेसिक व एडवांस लाइफ सपोर्ट की ट्रेनिंग देने आए थे। रविवार को 46 डॉक्टरों के पहले बैच की ट्रेनिंग पूरी होने के बाद उन्होंने डॉक्टरों को संबोधित करते हुए कहा कि हमें अपने ज्ञान व कौशल को हर समय निखारते रहना चाहिए। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की तरफ से आए डॉ. जोगेंदर ने बताया कि हृदय को मिलने वाली उर्जा अचानक बंद होने पर कार्डियक अरेस्ट की घटना होती है। ऐसे में सीपीआर के जरिए अगर हृदय को दुबारा उर्जा पहुंचा दी जाए तो पंप स्टार्ट हो सकता है, जिससे व्यक्ति का जीवन बच सकता है। कार्डियक अरेस्ट से मरीजों की जान बचाने में विश्व में स्वीडन अव्वल है। वहां कार्डियक अरेस्ट से पीड़ित करीब 24 फीसद लोगों की जान बच रही है। स्वीडन में ड्राइविंग लाइसेंस के लिए भी सीपीआर की ट्रेनिंग अनिवार्य है। इसके लिए वहां बड़ी संख्या मेंं ट्रेनिंग सेंटर खुले हैं। स्कूलों के कोर्स में सीपीआर शामिल है।
बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. रामकुमार जायसवाल ने बताया कि इस प्रशिक्षण मेंं अब तक 110 रेजिडेंट पंजीकृत हो चुके हैं। पहले बैच की ट्रेनिंग में 46 रेजिडेंट ट्रेनिंग ले रहे हैं। इसके बाद दूसरे बैच की ट्रेनिंग शुरू होगी। एनेस्थीसिया के विभागाध्यक्ष डॉ. सुनील आर्या ने बताया कि अभी हमारे पास पांच प्रशिक्षक हैं। चूंकि यह प्रशिक्षण व्यक्तिगत होता है, इसलिए इसमें समय अधिक लगता है, लेकिन जैसे-जैसे हमारे डॉक्टर प्रशिक्षित होते जाएंगे, इसका लाभ मरीजों को मिलने लगेगा। पहले बैच का प्रशिक्षण पूरा होने के बाद इससे संबंधित एक परीक्षा भी कराई गई। अब सभी को प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा। इस दौरान नोडल डॉ. सतीश कुमार, डॉ. शाहबाज अहमद, डॉ. नरेंद्र देव, डॉ. सुरेश सिंह, डॉ. शैलेंद्र उपाध्याय, डॉ. संतोष कुमार शर्मा आदि मौजूद रहे।
No comments:
Post a Comment