बस्ती। जिले में नवनिर्मित राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज को ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) दिल्ली से भी मान्यता मिल गई है। सूबे के चार नए इंजीनियरिंग कॉलेजों को ऑल इंडिया (केंद्रीय) श्रेणी में शामिल किया गया है। इसमें गोंडा, मिर्जापुर, प्रतापगढ़ के साथ बस्ती भी शामिल है। नए सत्र से यहां इंजीनियरिंग की 240 सीटों पर दाखिले होंगे।
एकेटीयू लखनऊ से संबद्ध बस्ती इंजीनियरिंग कॉलेज का भवन अपूर्ण होने के कारण पहले सत्र के छात्रों का पठन-पाठन लखनऊ आईईटी से कराया जा रहा है। इंजीनियरिंग कॉलेज में शिक्षण व्यवस्था सुचारू करने की जिम्मेदारी एकेटीयू और आयोग को मिली है। दोनों संस्थाओं की देखरेख में 159 शिक्षकों- कर्मचारियों की भर्ती की जानी है। इंजीनियरिंग कॉलेज के संचालन के लिए कुलदीप सहाय को निदेशक पद पर पहले ही नियुक्त किया।
गोरखपुर-बस्ती फोरलेन स्थित जिले के राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज में नए सत्र से इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू हो जाएगी। यहां की शिक्षण व्यवस्था के लिए एकेटीयू यानी कि डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी व आयोग जल्द ही 159 शिक्षकों-कर्मचारियों की भर्ती करेगा।
प्रदेश के चार नए राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेजों बस्ती समेत गोंडा, मिर्जापुर व प्रतापगढ़ में निदेशक समेत शिक्षकों, कर्मचारियों आदि के 636 पदों का शासन ने सृजित कर दिया है। जिसके तहत बस्ती राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज में भी निदेशक कुलदीप सहाय की तैनाती हो चुकी है और आगे की प्रक्रिया एकेटीयू व आयोग के स्तर पर पूरी की जाएगी।
- लखनऊ आईईटी में प्रारंभ है प्रथम वर्ष का पठन-पाठन
बस्ती राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज भले ही अभी पूरी तरह नहीं तैयार हो सका है लेकिन प्रथम वर्ष का पठन-पाठन लखनऊ स्थित आईईटी में प्रारंभ हो चुका है। डायरेक्टर कुलदीप सहाय के अनुसार अगर समय से अवशेष धन उपलब्ध हो गया और बिजली आदि की व्यवस्था बन गई तो नए सत्र से बस्ती में इंजीनियरिंग की पढ़ाई चालू हो जाएगी। बताया कि कॉलेज में इलेक्ट्रिक, इलेक्ट्रानिक्स, कंप्यूटर साइंस व सिविल इंजीनियरिंग की 60-60 यानी कि कुल 240 सीटें हैं। जिसके लिए शिक्षक, लेखाकार व रजिस्ट्रार समेत कुल 159 पद स्वीकृत किए गए हैं। प्रथम सत्र में 107 विद्यार्थियों का प्रवेश लिया जा चुका है। बस्ती में लैब, फर्नीचर व अन्य कार्य प्रगति पर है। बिजली आदि की व्यवस्था कर जल्द ही बस्ती में नए सत्र में प्रवेश लिया जाएगा।
- साढ़े चार करोड़ रुपए की और है जरूरत
वर्ष 2016 से निर्माणाधीन इंजीनियरिंग कॉलेज अब बनकर लगभग तैयार हो चुका है। अब सिर्फ आवासीय ब्लॉक को अंतिम रूप देना बाकी रह गया है। इसके अलावा बिजली का इंतजाम होना है। जिसके लिए तकरीबन साढ़े चार करोड़ रुपए के अवशेष बजट का इंतजार किया जा रहा है। जिसके पूर्ण होते ही नये सत्र में इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू होने का रास्ता साफ हो जाएगा।
- एक करोड़ रुपए से होना है बिजली का इंतजाम
पिछले महीने नौ फरवरी को प्राविधिक शिक्षा के प्रमुख सचिव एम देवराज ने इंजीनियरिंग कॉलेज का निर्माण करने वाली कार्यदाई संस्था कांस्ट्रक्शन एंड डिजाइनिंग सर्विस यानी कि सीएंडडीएस के परियोजना प्रबंधक अविनाश सिंह व साइट इंजीनियर जेपी यादव के साथ नवनिर्मित इंजीनियरिंग कॉलेज के सभी संकाय भवनों, लैब व फर्नीचर आदि की व्यवस्था परखी थी और आवश्यक दिशा-निर्देश दिए थे। कॉलेज परिसर के निरीक्षण के दौरान जानकारी मिली थी कि धनाभाव के कारण बिजली की व्यवस्था नहीं हो पाई है। पूरा ब्यौरा तलब किया तो पता चला कि लगभग 66 लाख रुपए कनेक्शन व तकरीबन 27 लाख रुपए से हैवी ट्रांसफार्मर का इंतजाम किया जा सकेगा। प्रमुख सचिव ने आश्वासन दिया था कि जल्द ही बिजली का खर्च व अवशेष धनराशि जारी हो जाएगी और विद्यार्थियों को इंजीनियरिंग के पढ़ाई की सुविधा मिलने लगेगी। इस मौके पर आईईटी लखनऊ के प्रधानाचार्य कुलदीप सहाय व बस्ती इंजीनियरिंग कॉलेज के प्राचार्य आरके सिंह के अलावा अन्य कर्मचारी मौजूद थे।
- आठ साल से चल रहा निर्माण
16 मई 2016 को तत्कालीन कैबिनेट मंत्री व हर्रैया के विधायक राजकिशोर सिंह की पहल पर तकनीकी शिक्षा के लिए इंजीनियरिंग कॉलेज का शिलान्यास किया गया था। 43.46 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत वाले इस कॉलेज के संपूर्ण निर्माण का जिम्मा सीएंडडीएस (कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइनिंग सर्विस) को दिया गया था। विभागीय अभियंताओं ने काम भी पूरे जोश-खरोस से शुरू किया लेकिन इसी बीच सूबे में दूसरी सरकार का गठन हो गया। इसके बाद से ही शासन व रूसा (राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान) के सहयोग से बनने वाले इस महत्पूर्ण परियोजना की उपेक्षा भी शुरू हो गई। वहीं कोरोना काल में भी निर्माण कार्य पर ग्रहण लग गया। धीरे-धीरे भुगतान होता रहा और निर्माण कार्य भी उसी गति से चलते रहे और अब जा कर यह कालेज बन कर तैयार हुआ है। जबकि अभी तक 39.98 करोड़ का ही भुगतान मिला है और 3.48 करोड़ रुपए और मिलने हैं। जिससे अभी आवासीय ब्लॉक अधूरा ही बन पाया है, जिसके लिए अवशेष धन का इंतजार किया जा रहा है।
- जरूरी संसाधनों से लैस हुआ इंजीनियरिंग कॉलेज
सीएंडडीएस के साइट इंजीनियर जयप्रकाश यादव के अनुसार मुख्य भवन का कार्य पूरा हो चुका है। इसके अलावा टाइप वन आवास व गर्ल्स हॉस्टेल का निर्माण भी लगभग पूरा होने वाला है। बताया कि चारदीवारी, ट्यूबवेल और वाटर हेड टैंक, टाइप एक, दो व तीन के आवासों के निर्माण को फाइनल टच दिया जा रहा है।
- जल्द विभाग को हैंडओवर कर दिया जाएगा भवन
सीएंडडीएस के परियोजना प्रबंधक अविनाश सिंह ने बताया कि मुख्य भवन व अन्य संसाधनों को तेजी से दुरुस्त किया जा रहा है। बिजली की व्यवस्था भी जल्द हो जाएगी। अवशेष धन के लिए पत्राचार किया गया है ताकि नये सत्र से पठन पाठन शुरू कर दिया जाए। आवासीय ब्लॉक तैयार होते ही विभाग को भवन स्थानांतरित कर दिया जाएगा।
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