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Wednesday, July 3, 2024

पिजड़ों में कैद थीं ललमुनियां, फॉरेस्ट टीम ने दबोचा

- 505 ललमुनिया चिड़ियों के साथ धराया तस्कर

- तस्करी के लिए बस्ती से जौनपुर जा रही थी प्रतिबंधित ललमुनिया चिड़ियों की खेप

- सीजेएम के निर्देश पर फॉरेस्ट टीम ने संतरविदास वन विहार पार्क में छोड़ा

बस्ती। प्रतिबंधित ललमुनिया चिड़ियों की भारी खेप फॉरेस्ट टीम ने बरामद किया है। कुल 505 चिड़ियों के समूह को फॉरेस्ट टीम ने कोर्ट के आदेश पर शहर से सटे वन विहार पार्क में छोड़ दिया है और कोर्ट ने चिड़ियों को ले जा रहे तस्कर को 14 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है। 



लखनउ स्थित वर्ल्ड क्राइम कंट्रोल ब्यूरो को सूचना मिली कि बस्ती जिले के श्रीरामजानकी मार्ग स्थित छावनी थाना के करीब रानी बगिया के पास एक व्यक्ति प्रतिबंधित ललमुनिया चिड़ियों को पिजड़ों में लेकर कहीं जा रहा है। एक्शन में आए डीएफओ जेपी सिंह ने इसकी जिम्मेदारी फॉरेस्ट के एसटीएफ टीम को सौंप दिया। हर्रैया के वन रेंजर शारदानंद तिवारी व सचल दल प्रभारी राजकुमार ने घेराबंदी कर 505 चिड़ियों के पिजरों को अपने कब्जे में ले लिया और तस्करी के आरोपी शहजाद निवासी सहदेउरी-खेतासराय, जिला बस्ती को गिरफ्तार कर लिया। टीम ने उसे सीजेएम कोर्ट में पेश किया, जहां से शहजाद को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया और चिड़ियों को शहर से सटे संतरविदास पार्क में छोड़ने का आदेश दे दिया गया। 

तोता-मैना की तरह ललमुनिया भी है प्रतिबंधित

हर्रैया के वन रेंजर शारदानंद तिवारी ने बताया कि 505 ललमुनिया चिड़ियों को संतरविदास पार्क में पिजड़ों से आजाद कर दिया गया है। इन्हें चेस्टनेक मुनिया के नाम से भी जाना जाता है। इन्हें भी लोग तोता-मैना की तरह पालते हैं। जबकि अब इनका पालन प्रतिबंधित कर दिया गया है। यह पर्यावरण संरक्षण के लिए बहुत ही उपयोगी होती है। इन्हें या तो खुले तौर पर छोड़ दिया जाए या फिर वन विभाग को सौंप दिया जाना चाहिए। पकड़े जाने पर वन अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाती है।

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