बस्ती। भाजपा प्रत्याशी हरीश द्विवेदी की हार चौंकाने वाली है क्योकि इन्हे जितना सरल,शुलभ क्षेत्र की जनता पाती है। उसके बाद भी एक लाख से ज्यादा वोटो से हार चौकाने वाली है। हरीश द्विवेदी जहॉ अपनी जीत को लेकर आश्वस्त थे वहीं लोगों का मानना था कि ऐसा सोचकर चलना कि हम तीसरी बार भी जीत रहे कहीं उन्हे झटका न दे दे। इसके पीछे की वजह बतायी जा रही कि हरीश के साथ के लोग जो उन्हे कभी सांसद बनाने के लिए एक कर दिये थे आज उन्हे हराने की बीड़ा उठा लिए थे। विधानसभा 2022 चुनाव में चार विधानसभा में हार के बावजूद सबक न लेना भी हार की मुख्य वजह माना जा रहा है। सबसे बड़ी बात कि वर्तमान समय में पॉच विधानसभा में से एक हरैया विधानसभा जो भाजपा के पास थी उसके विधायक से भी वर्तमान सांसद की नहीं बनने की बात भी मानी जा रही वर्तमान विधायक अजय सिंह के वहॉ छापा फिर हरैया विधानसभा से ही अजय सिंह के विरोध में रहे राजकिशोर सिंह को पार्टी की सदस्यता दिलाकर अजय सिंह की नाराजगी को बढ़ाना जबकि ऊपर से अजय सिंह सबकुछ ठीक कह रहे थे लेकिन अन्दर से कितना ठीक था ये तो रामजी ही जाने। राजकिशोर सिंह के भाजपा में आने को लेकर भाजपा के कार्यकर्ताओं में खुशी नहीं थी। वर्तमान चुनाव के समय देखा जाय तो सांसद हरीश द्विवेदी के साथ उनके जीते या हारे कोई भी विधायक नहीं थे। क्योेकि अगर ऐसा नहीं होता तो सांसद हरीश पॉचो विधानसभा से नहीं हारते। इन पॉच विधानसभा में से तो तीन विधायक तो पूरी तरह से पूरे चुनाव में गायब रहे। हरैया विधायक ही किन्ही मजबूरी या स्वेच्छा से कभी कभी नजर आ जाते थे।
इन सबके साथ ही कार्यकताओं में भी अन्दर खाने असंतोष था। कार्यकताओं का मानना था कि हमारे सांसद हम लोगों के साथ कई मसलों डट कर नहीं खड़े हुए। वैसे यह कहा भी जा रहा कि जैस गठबंधन प्रत्याशी रामप्रसाद चौधरी को चौधरियों का नेता माना जाता है। उस तरह से हरीश ने अपना किसी को भी नहीं बनाया बा्रहमण भी इन्हे अपना छत्रप या रहनुमा नहीं मानते। जो हरीश के साथ थे वो जमीनी धरातल पर कोई प्रयाश न कर र्सिफ सांसद जी को जीत का भरोसा अच्छी मार्जिन से दिला रहे थे। शायद इन्ही सब कारणो से ही हरीश द्विवेदी को इस तरह की हार का सामना करना पड़ा।
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