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Saturday, June 22, 2024

जीएसटी में व्याप्त विसंगतियों और कर प्रणाली में सुधार को लेकर वित्तमंत्री को मनमोहन ने लिखा पत्र


बस्ती। जीएसटी के वरिष्ठ अधिवक्ता व टैक्सेशन बार एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मनमोहन श्रीवास्तव काजू ने वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण  को जी०एस०टी० में व्याप्त विसंगतियों जो कि कर प्रणाली में सुधार को लेकर एक पत्र लिखा है। जीएसटी के वरिष्ठ अधिवक्ता मनमोहन श्रीवास्तव काजू ने कहा कि जब से जीएसटी लगी है तब से नियम को लेकर एक्ट में  कई बार परिवर्तन हुए लेकिन कुछ परिवर्तन ऐसे हैं जिन्हें अगर कर दिया जाए तो उसका लाभ सीधे व्यवसाईयों को मिलेगा, और व्यवसाइयो को जो दिक्कत आ रही है उसमें भी सुधार किया जा सकता है। व्यवसायी देश का अभिन्न अंग है, किसी भी देश अर्थव्यवस्था आगे बढ़ाने में, देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर डबलप करने में व्यवसायी वर्ग की अहम भूमिका रहती है। देश को सबसे अधिक राजस्व जीएसटी से मिल रहा है। इस राजस्व से सड़क, हाईवे, नहरे, एक्सप्रेसवे, एयरपोर्ट इत्यादि बन रहे है। और इसी  राजस्व से कर्मचारियों को वेतन, किसान सम्मान निधि, आवास, शौचालय इत्यादि सरकार लोगो को दे रही है। ऐसे में व्यापारियों की सुविधा के बारे में सोचने की जिम्मेदारी सरकार की बनती है। इसी क्रम में जीएसटी में मैं व्याप्त विसंगतियों को लेकर कुछ मांगे हैं जैसे जी०एस०टी० में GSTR-3B रिटर्न में रिवाइज की सुविधा दी जाय क्योंकि मानवीय भूल किसी से भी हो सकती है। 2017-18 एवं 2018-19 में आई०टी०सी० मिस मैच के कारण लगाये गये भारी भरकम ब्याज को माफ किया जाये, क्योंकि केवल कर वसूली / पेनाल्टी सरकार का ध्येय होना चाहिए। जी०एस०टी० में व्याप्त अनियमितता की आशंका के समाधान के लिए समस्त व्यापारियों का वैट अधिनियम की तरह नियमित कर निर्धारण किया जाए।विक्रेता व्यापारी द्वारा लिए गये टैक्स को घोषित नहीं करने पर क्रेता व्यापारी पर की जाने वाली कार्यवाही को बन्द करके विक्रेता व्यापारी से टैक्स वसूली की जाये। आनलाईन के नाम पर बोगस फर्मों एवं गैर कानूनी कृत्य करने वालों पर अंकुश लगाने के लिए अधिवक्ता के वकालतनामा को अनिवार्य किया जाये।

विभाग द्वारा जारी आदेश के विरूद्ध अपीलीय न्यायालय में जाने के लिए जमा की जाने वाली भारी भरकम 10 प्रतिशत की कोर्ट फीस जहाँ भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है वही छोटे एवं मझोले व्यापारियों को न्याय से वंचित कर रही है। न्याय सबके लिए सुलभ हो इसके लिए जमा की जाने वाली कोर्ट फीस न्यूनतम 1000.00 एवं अधिकतम 5000. 00 से ज्यादा रखना कर प्रणाली की श्रेणी ला देता है।
समस्त वार्षिक रिटर्न में शून्य कारोबार वाले व्यापारियों के रिटर्न को लेट फीस से मुक्त करना न्यायोचित होगा। वित्तमंत्री से निवेदन है कि उपरोक्त मांग को जल्द स्वीकार कर व्यापारियों के  हित को ध्यान में रखते हुए, जीएसटी में व्याप्त विसंगतियों को दूर करें। जिससे व्यवसायी सिर्फ व्यवसाय करें,बेफिजूल के कागजी कार्यवाही में ना उलझे।

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