- पखवाड़े पहले मतदान के दिन हुई थी एआरटीओ दफ्तर में बैट्री की चोरी
- दफ्तर में मारपीट के बाद अब चोरी की भी होने लगी घटना
बस्ती। आईटीआई परिसर के ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टीच्यूट यानी कि डीटीआई स्थित एआरटीओ दफ्तर में पखवारे पहले चोरों ने धावा बोलकर मंहगी बैट्रियों को चुरा लिया था। बावजूद इसके अभी तक न एफआईआर दर्ज हुई और न ही चोरों का कुछ सुराग मिल सका। इसके पीछे बताया जा रहा है कि विभागीय जिम्मेदार इस घटना को पचाने का प्रयास कर रहे हैं। कारण यह है कि ऑफिस में लगे सीसी कैमरे अक्सर बंद पड़े रहते हैं। अगर वह चालू होते तो चोरों का सुराग तो मिल ही जाता, साथ ही कार्यालय की कार्यप्रणाली का भी खुलासा हो जाता।
घटना मतदान के दिन यानी कि 25 मई अथवा मतदान के दूसरे दिन रविवार के रात की है। परिवहन विभाग के सभी अधिकारी व कर्मचारी चुनाव ड्यूटी में वाहनों की व्यवस्था में व्यस्त थे। 25 मई को मतदान होने के कारण पूरा कार्यालय बंद था। 26 मई को रविवार पड़ गया और सोमवार को जब ऑफिस खुला तो बायोमेट्रिक कक्ष के कर्मचारी उपस्थित नहीं हुए। जिससे आवेदक काम न होने से भटकते रहे। मंगलवार को जब बायोमेट्रिक कक्ष खुला तो यहां तकरीबन 60 हजार रुपए कीमत की दर्जन भर बैट्रियां गायब मिलीं। कर्मचारी सूफियान ने इसकी जानकारी अधिकारियों की दी तो सभी अचंभे में आ गए। फिर भी यहां किसी तरह से दूसरी बैट्रियां मंगाकर काम चलाया जा रहा है और घटना पर पूरी तरह से पर्दा डाल दिया गया है।
सवालों के घेरे में सीसी कैमरे
डीटीआई कैंपस शुरू से ही विवादों के घेरे में रहा है। 24 जून 2019 को स्थापित इस डीटीआई कैंपस में डीएल बनवाने का इंतजाम किया गया। कुछ दिन तो ठीक रहा लेकिन यहां तैनात कर्मचारियों की बदसलूकी व बाहरी दलालों के चक्कर में पूरा कार्यालय विवादों से घिर गया। यहां कई बार मारपीट के मामले भी उजागर हो चुके हैं। बावजूद इसके परिवहन विभाग के अधिकारी कोई ठोस कदम नहीं उठा सके। यहां सिर्फ सीसी कैमरे लगाकर अपनी जिम्मेदारी निभा दिया। इधर जब चोरी जैसी घटना हुई तो सीसी कैमरे बंद पाए गए। इससे सवाल खड़ा होता है कि आखिर चुनाव जैसे महत्वपूर्ण कार्य का समय होने के बावजूद सीसी कैमरे क्यों बंद रखे गए। अगर कैमरे चालू रहते तो कम से कम चोरों का सुराग तो मिल जाता। वैसे आसपास के लोगों का दावा है कि यह भी आफिस के अंदर बाहर घूमने वाले दलालों का ही काम है। दूसरी तरफ चूंकि यहां दिन भर चढ़ावे का खेल चलता है, जिससे कैमरे सिर्फ नाम मात्र के साबित हो रहे हैं। वह अक्सर खराब कर दिए जाते हैं। जिससे यहां का खेल रिकार्ड न हो सके। वहीं संभागीय प्राविधिक निरीक्षक संजय कुमार दास ने बताया कि मामले की सूचना पुलिस को दी गई है। पुलिस ही कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। जरूरत पड़ने पर आवश्यक सबूत भी दिखाए जाएंगे।
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