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Wednesday, June 5, 2024

सीधी बुवाई विधि से धान की बुवाई के लिए कार्य योजना करें तैयार


बस्ती। धान की खेती के लागत को कम करने के लिए सुपर सीडर, सीड कम फर्टीड्रिल/जीरो ट्रिल से सीधी बुवाई अथवा ड्रम सीडर द्वारा लेव में अंकुरित धान की सीधी बुवाई करने से रोपाई एवं जुताई की लागत में बचत होती है। उक्त जानकारी देते हुए संयुक्त कृषि निदेषक अविनाश चन्द्र तिवारी ने बताया कि सीधी बुवाई उचित नमी पर कम जुताई/बिना जुताई के मानसून आने के पूर्व 15 से 20 जून तक की जाती है ताकि बाद में अधिक नमी अथवा जल भराव से पौधे प्रभावित न हो इसके लिए सर्वप्रथम हल्का पानी देकर उचित नमी आने पर आवष्यकतानुसार हल्की जुताई या बिना जोते जीरो ट्रिल मषीन से बुवाई करनी चाहिए। जुताई यथा संभव हल्की एवं डिस्क हैरों से करनी चाहिए। खरपतवारनाषी के रूप में ग्लाईफोसेट 02 से 2.5 ली0 प्रति हे0 प्रयोग करके खरपतवार को नियंत्रित करना चाहिए। खरपतवारनाषी प्रयोग के तीन दिन बाद पर्याप्त नमी होने पर रोपाई करनी चाहिए।
उन्होने बताया कि धान की बुवाई करने से पहले जीरो ट्रिल मषीन/सुपर सीडर का सही बीज दर (20 से 25 कि0ग्रा0 प्रति हे0) एवं निर्धारित उर्वरक मात्रा हेतु कैलीब्रेषन कर लेना चाहिए। उर्वरक की निर्धारित मात्रा का प्रयोग मृदा परीक्षण की संस्तुति के आधार पर बेसल डोज पर प्रयोग करना चाहिए। बुवाई के समय ड्रिल की नली पर विषेष ध्यान रखना चाहिए क्योकि इसके रूकने पर बुवाई ठीक प्रकार नही हो पाती है। यूरिया और म्यूरेट ऑफ पोटाष उर्वरको को मषीन के खाद बक्से में नही रखनी चाहिए इनका प्रयोग टॉप डेªसिंग के रूप में धान पौधे के स्थापित होने के बाद सिचाई के उपरान्त करना चाहिए। सीधी बुवाई में धान के खेत में खरपतवार के समस्या के निराकरण के लिए बुवाई के पष्चात 02 दिन के अन्दर पेन्डीमेथीलीन का 3 से 3.50 ली0 प्रति हे0 की दर से 600 ली0 से 800 ली0 पानी में छिड़काव करनी चाहिए। चौडी पत्ती हेतु 2,- 4डी 80 प्रतिषत सोडियम साल्ट 625 ग्राम प्रति हे0 के हिसाब से प्रयोग करना चाहिए।
उन्होने बताया कि धान की सीधी बुवाई पर खरपतवार के नियंत्रण हेतु विसपायरी बैक सोडियम 10 प्रतिषत एस.सी 200 मि0ली0 प्रति हे0, बुवाई के 20 से 25 दिन बाद प्रयोग करना चाहिए। पेनाक्ससुलम 1.02 प्रतिषत ़ साइडैलोफाप- ब्यूटाइल 5.1 प्रतिषत ओ.डी की 2.00- 2.25 ली0 400 से 500 ली0 पानी में घोल कर बुवाई के 20 से 25 दिन बाद करना चाहिए।
उन्होने बताया कि धान की खेती हेतु पानी की बचत होती है तथा कम वर्षा एवं अवर्षण की स्थिति हेतु पानी कम लगता है। धान की लेव और रोपने का खर्च बच जाता है। धान की नर्सरी में उगाने में लगने वाला खर्च बच जाता है। इस विधि में जीरो टिल मषीन द्वारा 20 से 25 कि0ग्रा0 प्रति हे0 बीज पर्याप्त होता है। समय से धान की खेती शुरू हो जाती है और समय से खेत खाली होने से रबी फसल की बुवाई सामयिक हो जाती है।
उन्होने विभागीय अधिकारियों को निर्देषित किया है कि डी.एस.आर. (सीधी बुवाई) विधि से धान की बुवाई हेतु विकास खण्डवार कार्ययोजना तैयार कर अपने प्रत्येक कर्मचारी को अपने न्याय पंचायत में 50-50 हे0 का लक्ष्य निर्धारित करते हुए उक्त तकनीकी निर्देषों का अनुपालन कराना सुनिष्चित करें।

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