- 11.15 करोड़ के रेल राजस्व की बचत हुई है
गोरखपुर। पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन द्वारा एल.एच.बी. (लिंक हाफमैन बुश) रेकों के पिट अनुरक्षण के दौरान जेनरेटर सेट के स्थान पर ऊर्जा दक्ष एवं पर्यावरण मित्रवत 750 वोल्ट विद्युत सप्लाई का प्रयोग किया जा रहा है। जेनरेटर सेट के स्थान पर विद्युत सप्लाई का उपयोग बहुत ही लाभप्रद है तथा इससे व्यय में कमी के साथ ही हाई स्पीड डीजल (एच.एस.डी.) की बचत हो रही है।
अभी तक एल.एच.बी. रेकों के पिट अनुरक्षण के दौरान जेनरेटर सेट का प्रयोग होता था। एल.एच.बी. रेक के पिट अनुरक्षण के कार्य में समय लगता है, जिसमें इस्तेमाल किये जाने वाले जेनरेटर सेट में हाई स्पीड डीजल (एच.एस.डी.) की खपत होती थी। साथ ही अनुरक्षण के दौरान इनसे निकलने वाला कार्बन पर्यावरण के अनुकूल नहीं होता था।
पूर्वोत्तर रेलवे के 21 वाशिंग पिटों पर एल.एच.बी. कोचों के अनुरक्षण का कार्य 750 वोल्ट विद्युत सप्लाई से किया जा रहा है, जिससे 1211.429 किलो लीटर एच.एस.डी. की बचत हुई है, जिससे वित्त वर्ष 2023-24 में रू. 11.15 करोड़ के रेल राजस्व की बचत हुई है।
इसी क्रम में, ऊर्जा दक्ष, कम खर्चीली एवं पर्यावरण मित्रवत हेड ऑन जेनरेशन (एच.ओ.जी.) का उपयोग 63 जोड़ी ट्रेनों के 85 रेकों में किया जा रहा है, जिससे 17326.391 किलो लीटर एच.एस.डी. की बचत हुई है, जिससे वित्त वर्ष 2023-24 में रू. 159.50 करोड़ के रेल राजस्व की बचत हुई है।
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