- भ्रामक विज्ञापन जारी करने पर होगी कड़ी कार्यवाही
अलीगढ़। क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डा0 नरेन्द्र कुमार ने जनपद अलीगढ एवं हाथरस के फार्मेसी निर्माताओं को आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा 18 अप्रैल 2024 एवं निदेशक आयुर्वेद सेवायें उत्तर प्रदेश लखनऊ द्वारा जारी की गयी एडवाइजरी के क्रम में निर्देशित किया है कि आप द्वारा आयुष मंत्रालय के निर्देशो का पालन नहीं किया जा रहा है। औषधि निर्माता अपनी औषधियो के लेबल पर या प्रिन्ट और इलैक्टोनिक मीडिया में अपनी लाइसेन्स प्राप्त आयुष उत्पादों के विज्ञापन मे विभिन्न विवरणों का उल्लेख कर रहे है।
श्री कुमार ने विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि विज्ञापन में यह उल्लेख करना कि यह दवा या उत्पाद आयुष मंत्रालय द्वारा अनुमोदित या प्रमाणित है, गलत है। इसी प्रकार उत्पाद पर हरा लोगो प्रर्दशित करना और 100 प्रतिशत का उल्लेख करना भी गलत है। उत्पाद को 100 प्रतिशत सुरक्षित, दुष्प्रभावों से मुक्त गारन्टी उपचार व स्थायी इलाज का दावा भी नहीं किया जा सकता। उत्पाद से उपचार के स्थाई इलाज का दावा करना भी गलत है। उन्होंने सभी फार्मेसी निर्माताओं को निर्देशित किया है कि आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा विज्ञापन के संबंध में जारी की गई एडवाइजरी का उल्ल्घंन करने पर संबंधित के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।
उन्होंने यह भी बताया है कि भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा आयुष औषधि के निर्माण के लिए अनुमोदन एवं अनुदान नहीं देता है। औषधि और प्रसाधान सामिग्री नियम 1945 के नियम 158 बी आयुर्वेद सिद्ध और यूनानी (एएसयू) दवाओं के सम्बन्ध में लाइसेन्स जारी करने के लिए दिशा निर्देश निर्धारित करता है। उन्होंने बताया कि राज्य औषधि लाइसंेसिंग प्राधिकारण द्वारा लाइसेंसिंग को आयुष मंत्रालय द्वारा अनुमोदन के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए। राज्य एसएलए द्वारा जारी किया गया लाइसेंस औषधि और प्रसाधन सामिग्री अधिनियम 1940 और उसके तहत नियमो के तहत निर्धारित शर्तों की पूर्ती के आधार पर निर्माता को विशेष दवा/उत्पाद के बिक्री की अनुमति है और औषधि एवं प्रसाधन सामिग्री नियम 1945 के नियम 161.161ए और 161 बी आयुर्वेद सिद्ध और की-लेबिलिग के लिए विशेष प्रावधान है। अगर किसी फार्मेसी निर्माता द्वारा भ्रामक प्रचार किया जाता है तो उस पर विधिक कार्यवाही की जायेगी।
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