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Monday, May 27, 2024

ईश्वर की सर्वव्यापकता और संगठन की शक्ति का अनुभव कराना ही शिक्षक का प्रमुख गुण - डा. कमलेश पाण्डेय


बस्ती। शिक्षा का प्रथम सोपान आस्तिक होना अर्थात ईश्वर पर विश्वास करना है। विद्यार्थियों को ईश्वर की सर्वव्यापकता और संगठन की शक्ति का अनुभव कराना ही शिक्षक का प्रमुख गुण होना चाहिए।  यह बातें डा. कमलेश पाण्डेय संस्कृत प्रवक्ता महिला महाविद्यालय बस्ती ने आर्य वीर दल बस्ती द्वारा जयपुरवा बस्ती में आयोजित चरित्र निर्माण शिविर में बौद्धिक कक्षा में बोलते हुए कही। उन्होंने बताया कि संयुक्त परिवार सब सुखों का आधार हैं। संयुक्त परिवार से सुयोग्य नागरिकों का निर्माण होता है। इससे पूर्व शारीरिक अभ्यास कराते हुए प्रशिक्षक राहुल और राम तनय आर्य ने सर्वांग सुन्दर के भुजबल विकासक, वक्ष विकासक, स्कन्ध शक्ति विकासक, मिश्र हस्त, कटिनमन, कटिविकर्षण, गरुड़ोड्डीन, शिरोहस्तनति एवं कूर्दनताल आदि व्यायामों का अभ्यास कराया और शेर बकरी खेल के द्वारा बच्चों का मनोरंजन किया और बताया कि पढ़ाई के समान व्यायाम भी प्रतिदिन करना शिक्षा का अंग माना जाता है। सहायिका महिमा और निधि आर्य ने बताया कि इससे हमारा शरीर तो स्वस्थ होता ही है साथ ही हमारे मस्तिष्क पर पाठ्यक्रम का तनाव भी कम हो जाता है जिससे अध्ययन के प्रति रुचि जागृत होती है। इसके अलावा मुष्टि प्रहारों के प्रहार करने के गुर सिखाए। प्रधानाचार्य विजयलक्ष्मी सिंह ने माना कि बच्चों के लिए यह प्रशिक्षण उन्हे चरित्रवान बनने में मदद करेगा। यज्ञ कराते हुए योग प्रशिक्षक गरुण ध्वज पाण्डेय ने पांच प्राणों, पंच कोषों के बारे में बताते हुए ब्रह्मचर्य के बारे में बताते हुए कहा कि सब सुधारों का सुधार ब्रह्मचर्य है। जो पूर्ण ब्रह्मचारी है उसके लिए संसार की कोई भी वस्तु दुर्लभ नहीं है। अपने शरीर की शक्ति को शरीर में सुरक्षित रखकर विद्याध्ययन और ईश्वर की भक्ति करना ब्रह्मचर्य कहलाता है। ब्रह्मचारी से रोग तो क्या मृत्यु भी दूर भागती है। उन्होने बताया कि ब्रह्मचर्य रूपी इस रत्न को सुरक्षित रखने के लिए प्रातः जागरण, नियमित व्यायाम, प्राणायाम, संध्या, सत्संग और स्वाध्याय का श्रद्धा से पालन करना चाहिए। इसमें बाधक अश्लील चलचित्र गीत, स्त्रियों का चिन्तन, हास-परिहास और एकान्त सेवन सहित रजोगुणी एवं तमोगुणी पदार्थों का परित्याग करना चाहिए। ओम प्रकाश आर्य संरक्षक आर्य वीर दल बस्ती ने बताया कि शिविर का समापन 29 मई को होगा जिसमें बच्चों द्वारा अपने अर्जित ज्ञान, क्रिया कौशल का प्रदर्शन किया जाएगा। कार्यक्रम में मुख्य रूप से संतोष कुमार सिंह, अनूप कुमार त्रिपाठी, जया पाण्डेय, घनश्याम आर्य, देवव्रत आर्य, देवव्रत आर्य, डा. शशिकला श्रीवास्तव, राकेश, राजेश, ऋचा, विजय, सुधीर, सुधांशु मिश्र, शैलेन्द्र कुमार, सहित अनेक अतिथियों ने बच्चों का उत्साहवर्द्धन किया।

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